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घोघड़, चम्बा,09 मार्च : महाशिवरात्रि पर्व आज पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। जनजातीय क्षेत्र भरमौर जिसे गद्दी समुदाय का निवास स्थान होने के कारण गद्देरन भी कहा जाता है। भगवान शिव के अन्नय उपासक होने के कारण वे शिव से जुड़े हर अनुष्ठान को वे बेहद भावावेश में मनाते हैं।

महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर भरमौर के चौरासी मंदिर स्थित शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का आज ऐसा हजूम उमड़ा कि उनके खड़ा होने तक के लिए परिसर में स्थान कम पड़ गया। आज अल सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की करतारें लगनी आरम्भ हो गईं। दोपहर होते-होते श्रद्धालुओं की संख्या पांच हजार से अधिक हो गई जिसमें पड़ोसी जिलों व राज्यों के श्रद्धालुओं  की संख्य अधिक रही। श्रद्धालुओं के लिए यहां फलाहार, भजन कीर्तन आदि की व्यवस्था की गई थी। डीजे पर बज रहे शिव भजनों पर श्रद्धालुओं जमकर थिरके। इस दौरान स्थानीय लोगों ने विवाह की लखणोतरी भी लिखवाई तो कई श्रद्धालुओं ने रुद्राभिषेक यज्ञ भी करवाया।

शिव मंदिर पुजारी छज्जू राम शर्मा ने कहा कि भरमौर में महाशिवरात्रि पर्व मनाने के पीछे आस्था के अलावा वैज्ञानिक कारण है। मान्यता अनुसार भगवान शिव आज भरमौर में अपने शिव मंदिर में रात्रि विश्राम करेंगे व सुबह यहां से मणिमहेश कैलास की ओर प्रस्थान करेंगे। जहां से वे राधाष्टमी तक मृत्युलोक की सत्ता सम्भालेंगे। उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी से महाशिवरात्रि तक भगवान विष्णु अवतार नृसिंह का शासन रहता है। चूंकि भगवान शिव के साथ उनके गण,डाकिनी,भूत-प्रेत, सृष्टि के अन्य जीव जंतु भी विचरण करते हैं और यही भगवान शिव के महाशिवरात्रि पर आगमन के पीछे वैज्ञानिक पक्ष भी है कि महाशिवरात्रि के बाद इस बर्फीले क्षेत्र का तापमान बढ़ जाता है जिससे भूमि के भीतर रह रहे कीड़े-मकौड़े व प्रवासी पशु पक्षी भी क्षेत्र में लौटने लगते हैं।

मान्यता अनुसार जब भगवान शिव अपने मंदिर में विश्राम कर रहे होते हैं उसी समय उनके साथ आए भूत-प्रेत, डाकिनी, कीड़े-मकौड़े व अन्य जीव लोगों के घरों में आश्रय लेने का प्रयास करते हैं जिससे लोगों को परेशानी होती है। लोग उन्हें अपने घरों में घसने से रोकने के लिए कंटीली औषधीय पौधे ‘बेकलैं’ के कांटे घर के दरवाजे पर लगा देते हैं। होली महोत्सव तक के समय में वे सब अपने लिए ठिकाना ढूंढ लेते हैं इसलिए लोग अपने घरों मे लगाए गए इन कांटों को निकालकर होलिका दहन के दैरान जला देते है।

धर्मेश्वर मंदिर पुजारी भुवनेष दत्त बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर्व के आयोजन में अब बहुत अधिक परिवर्तन आया है। आज हजारों लोगों इस दिन अपने आराध्य देव के स्वागत के लिए भरमौर पहुंच रहे हैं। जिससे उनकी आस्था और प्रगाढ़ होने के साथ-साथ देश के विभिन्न भागों से आने वाले श्रद्धालु यहां की संस्कृति से भी अवगत होते हैं। महाशिवरात्रि पर्व आज विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा जागरण का आयोजन किया जा रहा है । सारी रात एंचली से शिवगुणगान किया जाएगा। कल 09 मार्च को चौरासी मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।


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