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घोघड़, चम्बा 11 जनवरी :  जनजातीय क्षेत्र भरमौर के जंगलों,चारागाहों व बगीचों में इस वर्ष आगजनी से भारी नुकसान हुआ है। इस दौरान ग्राम पंचायत कुगति के जंगल में भी आग भड़क गई है। गत दिवस से लगी इस आग को बुझाने के लिए न तो वन व न ही वन्य प्राणी संरक्षण विभाग द्वारा कोई प्रयास किया गया है।आग की चपेट में कई हैक्टेयर वन व निजि भूमि में पेड़ पौधों व जीव जंतुओं का जीवन पर खतरा बना हुआ है।

आग की चपेट में कुगति निवासी मदन लाल,जयरथ,अम्बो राम,हाकम, झड़ू राम,बिमला देवी के सेब बगीचों को भी नुकसान की सूचना है। कुगति के भुखार अंदरोल जंगल में भड़की आग पर मदन लाल का कहना है कि बगीचों में चर रही उनकी तीन भेड़े़ भी आग की चपेट में आकर झुलस गई हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय युवकों ने आग से बुझाने का भरपूर प्रयास किया  परंतु उनके पास न तो आग जंगल की बुझाने की तकनीक की कोई जानकारी न ही कोई उपकरण होने के कारण वे लगातार इसमें असफल हो रहे हैं। लोगों का कहना है जंगल में आग लगे हुए दूसरा दिन हो गया है परंतु अभी तक न तो वन व नहीं वन्य प्राणी संरक्षण विभाग की ओर से कोई कर्मचारी मौकै पर पहुंचा है।
उधर इस बारे में दोनों विभागों के अधिकारियों से कुगति  के भुखार अंदरोल जंगल में भड़की आग  को बुझाने के लिए विभाग की प्रतिक्रया जानी तबतक  उन्हें कुगति के जंगल में आगजनी का पता ही न था। घोघड़ से आगजनी के स्थान पता करने पर वन मंडल भरमौर नरेंदर ठाकुर व वन्य प्राणी सरंक्षण मंडल चम्बा कुलदीप जम्वाल ने कहा कि यह स्थान उनके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता। वन मंडल अधिकारी भरमौर ने कहा कि यह क्षेत्र वन्य प्राणी संरक्षण विभाग के अंतर्गत है।

वन्य प्राणी संरक्षण मंडल अधिकारी कुलदीप जम्वाल ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से घटना की पुष्टि प्राप्त करने के बाद बताया कि आगजनी वाला वन क्षेत्र सैंक्च्यूरी एरिया के अंतर्गत नहीं आता। उन्होंने कहा कि सैंक्चयुरी एरिया कुगति गांव से चार किमी की दूरी पर है। 
लेकिन अधिकारियों को यह बात समझ नहीं आई कि जंगल में जब आग लगी है तो पहले उसे बुझाने का प्रयास किया जाना चाहिए था । आग बुझाने की जिम्मेदारी दोनों विभागों की है।  भले ही आग अभी उनके क्षेत्र में न लगी हो लेकिन यह कभी भी उनके क्षेत्र तक पहुंच सकती है।

ग्रामीणों ने कहा कि विभाग आग बुझाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है। जिस कारण यह जंगल के साथ साथ रिहायशी भागों व बगीचों के बड़े भाग को भी चपेट में ले सकती है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जंगल में लगी इस आग को तुरंत बुझाने का कार्य किया जाए। गौरतलब है कि कुगति के जंगल वन्य प्राणी संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जिसमें दुर्लभ प्रजाति की जड़ी-बूटियां,पेड़-पौधे व वन्य प्राणी मौजूद हैं। आगजनी के कारण यह अमूल्य सम्पत्ति के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।


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