घोघड़, चम्बा 04 अगस्त : बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देने के नाम पर सरकारें कितने बड़े दावे करती हैं,लाखों रुपए स्कूल के भवन, रसोईघर, शौचालय व खेल मैदान पर खर्च करती हैं चुनाव प्रचार के दौरान व अन्य सरकारी समारोहों में जिसकी डींगें जोर-शोर से हांकी जाती हैं। लेकिन धरातल पर देखा जाए कहीं स्कूल भवन नहीं तो कहीं शिक्षकों की कमी तो कहीं शिक्षक शराब पीकर कक्षाओं में जाने के मामले सामने आते रहे हैं । सरकार इस अव्यवस्था को सुधारने में असफल होती दिख रही है।
यहां मुद्दा जनजातीय क्षेत्र पांगी के मिडल स्कूल कुठ्ठल से जुड़ा हुआ है। उपमंडल मुख्यालय से करीब तीन किमी की दूरी पर स्थित इस विद्यालय में विद्यार्थियों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ रहा है। स्कूल के पास शौचालय तो दूर अपना भवन भी जर्जर हालत में है। स्कूल में मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण विद्यालय के कई विद्यार्थी यहां से अन्य विद्यालयों में चले गए हैं।
क्षेत्र के समाज सेवी दीपक चौहान बताते हैं कि पिछले करीब 12 वर्षों से स्कूल के नए भवन बन रहे हैं। कभी एसएसए तो कभी कोई अन्य एजेंसी स्कूल भवन के निर्माण आरम्भ करती है और आधा अधूरा कार्य छोड़कर चले जाते हैं। लाखों रुपए स्कूल भवन के निर्माण व मुरम्मत पर खर्च हो गए परंतु विद्यार्थिय़ोंके इससे कोई लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि माध्यमिक स्कूल कुठ्ठल में आस पास के तीन गांवों से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। स्कूल भवन की दशा इतनी खराब है कि इसके ढहने का जोखिम बना हुआ है स्कूल में शौचालय न होने के कारण लड़के, लड़कियों व स्टाफ को भी खुले में शौच जाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्कूल भवन निजि भूमि पर बना बताया जाता है जिसका भूमि मालिक संस्थान में किसी प्रकार के निर्माण कार्य नहीं करने देता। उन्होंने कहा कि वे वर्षों से क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों के समक्ष लगातार इस समस्या का समाधान की बात कर चुके हैं परंतु किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है।
इस बारे में स्कूल प्रबंधन समिति सदस्यों ने कहा कि स्कूल में शौचालय व अध्यापकों की कमी के कारण आधा दर्जन बच्चे यहां से करीब तीन किमी दूर किलाड़ स्कूल में चले गए हैं। इस समय इस स्कूल में वही विद्यार्थी बचे हैं जिनके अभिभावक अपने बच्चों को किसी अन्य सुविधा समपन्न विद्यालय में ले जाने की स्थिति में नहीं हैं। अभिभावकों ने कहा कि इस विद्यालय के भवन के पास ही नये भवन का निर्माण कार्य भी आरम्भ किया गया था लेकिन एक दशक से अधिक समय से यह अर्द्धनिर्मित ढांचे का भी क्षरण आरम्भ हो गया है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में विज्ञान व कला विषय के अध्यापकों के पद भी खाली हैं। जिस कारण विद्यार्थियों को गणित व विज्ञान विषय जुगाड़ तंत्र से पढ़ाए जा रहे हैं। अभिभावकों नेकहा कि सरकार अनुसूचित जनजाति व जाति के लोगों के उत्थान के लिए बड़े बड़े दावे करती है परंतु हमारे बच्चों के भविष्य से तो सीदे खिलवाड़ हो रहा है बच्चों को शौच के लिए पर्दा तक उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी दशा यहां स्थित प्राथमिक पाठशाला कुठ्ठल की भी है।
इस मामले पर स्कूल के अध्यापकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन इस सकूल के लिए नए भवन की मांग को लेकर कई वर्षों से प्रस्ताव सरकार व उच्चाधिकारियों को भेज चुका है। चूंकि मौजूदा स्कूल भवन स्थल पर स्थानीय व्यक्ति ने दावा प्रस्तुत कर रखा है इसलिए स्कूल प्रशासन ने सरकारी भूमि का चयन कर वन मंडल पांगी कार्यालय को एफआरए क्लीअरेंस देने के लिए लिखा है परंतु अभी वहां से भी कोई उत्तर नहीं आया है। उन्होंने शौचालय की समस्या को स्वीकारते हुए कहा कि स्टाफ व बच्चों खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है जिसके लिए हमें शर्मिंदा होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के खाली पदों के कारण उन विषयों को पढ़ाने में भी परेशानी हो रही है ।
स्कूल की समस्या को लेकर क्षेत्र के विधायक डॉ जनक राज ने कहा कि भरमौर,होली,धरवाला व पांगी तहसीलों में इस प्रकार की समस्या से ग्रसित कुछ और विद्यालय भी हैं। जिनकी समस्याओं को लेकर वे सरकार के समक्ष लगातार समाधान की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालय कुठ्ठल के किचन शैड, शौचालय व स्कूल भवन मुरम्मत के लिए उन्होंने क्रमशः 2,71,000, 2,55,000 व 1,91,800 लाख रुपए स्वीकृत करवाए थे। विधायक ने कहा कि माध्यमिक विद्यालय का यह मामला काफी पुराना है इसके समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देशित करेंगे। अगर बात न बनी तो वे इसे विस सत्र में उठाएंगे।