घोघड़, शिमला 24 मार्च : हिमाचल प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में विभाग ने एक नई पहल करते हुए 1 अप्रैल से 30 जून तक गेयटी थिएटर के सम्मेलन कक्ष में टांकरी लिपि तथा हिमाचली राजभाषा संस्कृत के ज्ञानवर्धन हेतु विशेष कार्यशाला/अभियान का आयोजन करने का निर्णय लिया है।
विभाग के निदेशक, डॉ. पंचन ललित ने जानकारी देते हुए बताया कि टांकरी लिपि उत्तर भारत की शास्त्र लिपियों में से एक थी। विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में प्राचीन काल से इस लिपि का प्रयोग किया जाता रहा है। ऐतिहासिक रूप से चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर सहित हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में टांकरी लिपि का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। इस लिपि का उपयोग शाही फरमान, आदेश, नौटियाल दिन-प्रतिदिन के कार्यों में किया जाता था। हिंदी और उर्दू के अलावा पहाड़ी राज्यों में यह लिपि काफी लोकप्रिय थी।
डॉ. ललित ने आगे बताया कि हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में आज भी टांकरी लिपि में लिखे गए पत्थर, ताम्रपत्र, मोहरें और शिलालेख मौजूद हैं। यह शिलालेख हिमाचल प्रदेश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को उजागर करते हैं। इसी कारण से युवा पीढ़ी को इस लिपि से अवगत करवाने हेतु इस विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए भी यह कार्यशाला महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भाषा एवं संस्कृति विभाग का उद्देश्य प्रदेश की प्राचीन एवं सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करना है। विभाग द्वारा इस अभियान के माध्यम से लोगों को संस्कृत भाषा की प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी।
टांकरी लिपि का प्रशिक्षण डॉ. किशोरी लाल चंदेल (सहायक प्रोफेसर, इतिहास) द्वारा दिया जाएगा, जबकि संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण डॉ. नरसिंहराम शर्मा (सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक एवं पूर्व सचिव, संस्कृत अकादमी) देंगे।
कार्यशाला का आयोजन गेयटी थिएटर के सम्मेलन कक्ष में किया जाएगा। टांकरी लिपि के लिए यह प्रशिक्षण सोमवार, मंगलवार और बुधवार को होगा, जबकि गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सत्र प्रतिदिन शाम 5:30 बजे से 6:30 बजे तक आयोजित किए जाएंगे।
प्रतिभागियों के लिए सूचना
इस कार्यशाला में कोई भी युवा वर्ग अथवा प्रौढ़ व्यक्ति भाग ले सकता है। इच्छुक प्रतिभागी अधिक जानकारी के लिए विभाग के दूरभाष नंबर 0177-2626615 पर संपर्क कर सकते हैं या ई-मेल dirculture@gmail.com पर अपनी जानकारी भेज सकते हैं।
भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. पंचन ललित ने इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की है, ताकि प्रदेश की प्राचीन धरोहर को संरक्षित एवं पुनर्जीवित किया जा सके।