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घोघड़, नई दिल्ली 22  जनवरी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि न्यायपालिका तक पहुंचने को एक “हथियार” के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो शासन व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। उन्होंने जोर दिया कि लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा के लिए संस्थाओं को अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने संसद में व्हिप की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्राविधान जनप्रतिनिधियों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाता है। उन्होंने लोकतंत्र में सार्थक संवाद और अभिव्यक्ति की आजादी की जरूरत पर जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने संसद की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पहले इसे लोकतंत्र का मंदिर माना जाता था, लेकिन अब यह कुश्ती का मैदान बन गया है। उन्होंने संसद में हो रहे हंगामे और अव्यवस्था को “रिमोट कंट्रोल” से संचालित बताया।

उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाएं और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करें।

उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को आर्थिक रूप से दंडित करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में राजनीति के लिए प्रशिक्षित और जिम्मेदार लोगों की आवश्यकता है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से राष्ट्रहित में सार्थक संवाद की अपील की।


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