- भारत में Schedule H दवाइयाँ केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही मिल सकती हैं। इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के बेचा या खरीदा नहीं जा सकता।
- इनमें कई महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स, एंटीहाइपरटेन्सिव, और अन्य चिकित्सीय उपयोग की दवाइयाँ शामिल होती हैं।
H1 श्रेणी (Schedule H1) :
- Schedule H1 दवाइयाँ भी डॉक्टर की पर्ची पर मिलती हैं, लेकिन इन्हें विशेष ध्यान से बेचा जाता है।
- इन दवाइयों की बिक्री के समय फ़ार्मासिस्ट को खरीददार की जानकारी रिकॉर्ड करनी होती है।
- इनमें कुछ एंटीबायोटिक्स, मादक पदार्थ और सिज़ोफ्रेनिया व एंग्ज़ाइटी की दवाइयाँ शामिल होती हैं, जिनके दुरुपयोग की संभावना होती है।
X श्रेणी (Schedule X) :
- Schedule X दवाइयाँ सबसे सख्त निगरानी में आती हैं।
- इन्हें केवल लाइसेंसधारी फार्मेसियों में ही बेचा जा सकता है और इसकी बिक्री का रिकॉर्ड मेंटेन करना अनिवार्य होता है।
- इसमें मुख्य रूप से मादक पदार्थ या नशीली दवाइयाँ होती हैं जिनका दुरुपयोग हो सकता है, जैसे कि कुछ सेडेटिव्स और ट्रैंक्विलाइज़र।
- भारत में इन दवाइयों पर नियम :
भारत में Drugs and Cosmetics Act, 1940 और Drugs and Cosmetics Rules, 1945 के अंतर्गत इन दवाओं की बिक्री, निर्माण और वितरण को नियंत्रित किया जाता है। डॉक्टर की पर्ची पर इन दवाइयों की बिक्री अनिवार्य होती है, और इनके दुरुपयोग से बचने के लिए सख्त प्रावधान हैं। बिना पर्ची के इन दवाइयों की बिक्री अपराध माना जाता है और इसके लिए दंड का प्रावधान है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 :
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 77 में यह प्रावधान है कि:
- यदि कोई व्यक्ति 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे को कोई नशीला पदार्थ या मादक द्रव्य बेचेगा, उपलब्ध कराएगा या देगा, तो वह अपराधी होगा।
- ऐसे व्यक्ति को 7 वर्ष तक की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- इसमें उन वस्तुओं का उल्लेख है जो मादक पदार्थ के रूप में उपयोग की जा सकती हैं।
- किशोर न्याय आदर्श नियम, 2016 का नियम 56 :
किशोर न्याय (आदर्श) नियम, 2016 का नियम 56 नशीली दवाओं और शराब से संबंधित है:
- यह नियम बच्चों को नशीले पदार्थों से दूर रखने की जिम्मेदारी पर जोर देता है।
- इसमें नशीले पदार्थों के प्रति बच्चों की सुरक्षा के उपायों का प्रावधान है और यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों को नशीली दवाओं या शराब के प्रभाव में न आने दिया जाए।
इस नियम का उद्देश्य बच्चों को नशीले पदार्थों के सेवन या दुरुपयोग से बचाने के लिए सामाजिक जागरूकता और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना है।