घोघड़, चम्बा 28 फरवरी : रैटण गांव के लोग पिछले सात दिनों से बिजली के अभाव में रह रहे हैं। ग्राम पंचायत सियूंर के रैटण व खंदोली गांव में पिछले सात दिनों से बिजली सेवा ठप्प पड़ी है। लोगों का कहना है कि विद्युत विभाग उनका सहयोग नहीं कर रहा है। लोगों का कहना है कि जब वे पारम्परिक तरीके से जीवन यापन कर रहे थे तो वे सर्दियों के लिए इंधन की लकड़ी व रोशनी के लिए अधिक लाख वाली लकड़ी जिसे गद्दी बोली में जंगणी कहते हैं, एकत्रित करके रख लेते थे जिससे सर्दियों में शरीर को गर्म रखने व भोजन पकाने व रोशनी का प्रबन्ध किया जाता था। अपने स्वयं के बलबूते रह रहे हम आदिवासी लोगों को सरकार ने बिजली कनैक्शन व गैस सिलेंडर थमा दिए लेकिन इनकी निर्बाध आपूर्ति करने में विफल रही।जिस कारण लोगों को सहायता के लिए बार बार सरकार का मुंह ताकना पड़ता है।
विनोद कुमार बताते हैं कि हिमपात के कारण उनके गांव के लिए विद्युत सप्लाई करने वाली तारें टूट जाने पर विद्युत विभाग को कई बार बिजला बहाल करने के लिए कहा गया परंतु विभाग बिजला बहाल न की तो ग्रामीणों ने स्वंय इन तारों को जोड़ कर गांव में बिजली बहाल की। उन्होंने कहा कि अब उनके गांव का ट्रांसफॉर्मर जल गया है। बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं तो बीमार व बुजुर्गों को शून्य डिग्री सैल्सियस तापमान के बीच विद्युत हीटर का ही आसरा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके गांव की विद्युत सेवा को तुरंत बहाल किया जाए।
उधर इस बारे में सहायक अभियंता विद्युत विभाग भरमौर संतोष कुमार ने कहा कि उक्त गांव के लिए 25 केवीए क्षमता का ट्रांसफॉर्मर डमटाल से मंगवाया गया है जोकि कल 29 फरवरी को पहुंच जाएगा। टूटे बिजली के तारों को समय पर मुरम्मत न करवाने के आरोप पर सहायक अभियंता ने कहा कि ग्रामीण एक लिखित शिकायत उनके कार्यलय में करें जिसके बाद वे कार्यवाही करेंगे।
यहां गम्भीर विषय यह है कि बिजली बहाली के लिए ग्रामीण बिजली खंभों पर चढ़ने के लिए बाध्य हो रहे हैं। ऐसें में कोई जानलेवा दुर्घटना भी हो सकती है।