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घोघड़, चम्बा 11 सितम्बर : बहुत से लोग मानते हैं कि मणिमहेश यात्रा का समापन राधाष्टमी पर्व के साथ हो जाता है जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं। जिस प्रकार शिव शक्ति के साथ जुड़ें हैं ठीक उसी प्रकार मणिमहेश यात्रा छतराड़ी गांव स्थित देवी शक्ति की जातर से जुड़ी है।

मणिमहेश यात्रा के दौरान राधाष्टमी पर्व के समय मणिमहेश झील से लाए गए जल से दूसरे दिन देवी शक्ति की प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है। वर्षों से चली आ रही यह परम्परा आज भी चल रही है परंतु बहुत से लोग इससे अनभिज्ञ हैं। छतराड़ी घाटी में छठी शताब्दी में निर्मित देवी शक्ति व उनके मंदिर से जुड़ी दर्जनों किवदंतियां हैं जो कि रोचक व चकित कर देने वाली हैं।

कल 12 सितम्बर 2024 को सुबह मणिमहेश झील से लाए राधाष्टमी पर्व के जल से पुजारी देवी शक्ति का अभिषेक करेंगे। जिसके बाद यहां की स्थानीय जातरों से सम्बंधित रस्में होंगी। इस प्रकार देवी शक्ति के मेलों के साथ मणिमहेश यात्रा का जुड़ाव देखने को मिलता है। मणिमहेश यात्रा के राधाष्टमी स्नान के उपरांत बहुत से श्रद्धालु देवी शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राधाष्टमी पर्व के दूसरे दिन छतराड़ी स्थित इस मंदिर में भी पहुंचते हैं।

कल से इस मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय परम्परागत मेलों का आयोजन होने वाला है। जिसमें देवताओं के आह्वान से लेकर सांस्कृतिक व परम्पराओं का निरंवहन किया जाएगा। यहां यह जानना आवश्यक है कि गद्दी संस्कृति की जो झलक भरमौर की जातरों में देखने को मिलती है छतराड़ी की जातरों में उसका दो कदम आगे व अनुशासित प्रदर्शन देखने को मिलता है। भरमौर की जातरों में जहां बिना पारम्परिक परिधान के भी लोग जातर मंच पर नृत्य करने पहुंच जाते हैं वहीं छतराड़ी की जातर में बिना पारम्परिक परिधान किसी को नर्तक दल में शामिल होने की अनुमति नहीं होती।

पहली जातर(मेला) को खप्पर बुढ्ढा जोकि देवी शक्ति का असुरों पर विजय को समर्पित है, का आयोजन होगा। दूसरी जातर युवा खेलों को समर्पित होगी जबकि तीसरी जातर आलीमाली (समुद्र मंथन) को प्रदर्शित करती है।

स्थानीय युवक मंडल एवं मेला आयोजन समिति प्रतिनिधि राजीव शर्मा बताते हैं कि यह मेला जिला स्तरीय है परंतु इसके संचालन का लगभग 80 प्रतिशत खर्च स्थानीय लोग ही उठाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस से जो बन पाता है वह बिन मांगे व औपचारिकता के सहयोग करता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मेला आयोजन स्थल एवं शक्ति माता मंदिर प्रांगण की साज-सज्जा के लिए एक सप्ताह पूर्व से कार्य आरम्भ हो चुका है। स्थानीय कला अध्यापक मनोज शर्मा ने अपनी सहयोगी के साथ यहां दीवार लेखन का सुंदर कार्य किया है।

उन्होंने देवी शक्ति को समर्पित इन मेलों में भाग लेने के लिए सब लोगों को छतराड़ी आमंत्रित किया है।

 


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