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घोघड़, चम्बा 19 नवम्बर : सड़क दुर्घटना के बाद होने वाली पुलिस कार्रवाई के अधिकतर मामलों में सड़क की खराब दशा, उचित साईन बोर्ड का न होना, सड़क पर बजरी व बालू फैली होना को दुर्घटना के कारण में शामिल नहीं किया जाता जबकि चालक पर लापरवाही, खतरनाक तरीके से वाहन चलाने, लोगों की जान जोखिम में डालने या लोगों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लग जाते हैं। गत रात्री भरमौर मुख्यालय में भी एक वाहन दुर्घटना में तीन लोगों की जान चली गई तो दो लोग घायल हो गए।

दुर्घटना स्थल पर जाकर दुर्घटना के कारणों की पड़ताल करें तो सामान्य नागरिक भी यह बता देगा कि सड़क के किनारे कोई क्रैश बैरियर या पैरापिट नहीं लगा था व न ही वहां सड़क की तीखी ढलान व मोड़ होने की जानकारी देने वाला कोई साईन बोर्ड लगाया गया था।

स्थानीय निवासी कुंज लाल बताते हैं कि दुर्घटना आधी रात को हुई है उस समय चालक अपने परिवार को साथ बिठाकर लापरवाही से वाहन चलाए ऐसा मानना मुश्किल है अगर मान भी लिया जाए तो ऐसा करते हुए किसने देखा।  हो सकता है उस समय वाहन में ही कुछ तकनीकी खराबी आ गई हो जिस कारण वह वाहन पर नियंत्रण न रख पाया हो।

क्षेत्र के समाज सेवी गुलशन नंदा बताते हैं कि दुर्घटना स्थल पर सड़क सुरक्षा मानक ही नहीं हैं। न तो क्रैश बैरिअर व पैरापिट है व न ही वहां मोड़ व तीखी ढलान को दर्शाने वाला कोई साईन बोर्ड़ स्थापित किया गया है। भरमाणी मंदिर या गरीमा से भरमौर की ओर जा रहे वाहनों के लिए इस स्थान पर सड़क देखना या उसका अनुमान लगाना कठिन है। उन्होंने कहा कि सुरक्षित सड़क प्रदान करने के लिए लोनिवि के अधिकारी जिम्मेदार हैं ऐसे में दुर्घटना के लिए उनकी लापरवाही भी दिख रही है। लिहाजा विभागीय अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

पंडित लंघा बताते हैं कि भरमौर से सियूंर वाया गरीमा सड़क मार्ग पर वे रोजाना यात्रा करते हैं परंतु इस सड़क मार्ग पर सुरक्षा प्रबंधों में कई स्थानों पर समझौता किया गया है। दुर्घटना के बाद चालक पर आरोप थोपना आसान है परंतु सड़क की खराब दशा या सुरक्षा मानकों को स्थापित करने पर लोनिवि के अधिकारियों के विरुद्ध यहां कभी कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत वर्ष 2021 में बनकर तैयार हुई भरमौर-चलेड सड़क मार्ग जिसे ददिमा-चलेड सड़क का नाम दिया गया है, की देखभाल का ठेका एमसीसी पॉवर प्रोजैक्ट नामक कम्पनी को मिला है । लोनिवि के दिशानिर्देशों व निर्धारित नियमों के अनुसार उक्त कम्पनी द्वारा इस सड़क मार्ग को सुरक्षित व साफ सुथरा बनाए रखने का अनुबंध है जिसके लिए कम्पनी को केंद्र सरकार से इस वर्ष के कार्य के लिए करीब 06 लाख रुपये जारी किए गए हैं।

प्रधान मंत्री सड़क योजना की इस सड़क के किनारों में उगी घास काटने, जल निकासी नालियों की मुरम्मत करना, वर्षा के कारण हुए कटाव की मुरम्मत करना,सड़क के गड्डे भरना,पैरापिटों के दृष्टिगोचर हेतु उनपर सफेदी करना इत्यादि कार्य शामिल हैं। केंद्र सरकार पांच वर्ष के मुरम्मत कार्य पर 28.90 लाख रुपये खर्च कर रही है।

करीब 3.48 करोड़ की लागत से ददवां से चलेड तक बनी 4.8 किमी इस पूरी सड़क के किनारे ड्रेनेज (पक्की जल निकासी नाली) बनाई जानी थी व सुरक्षा के लिए 546 पैरापिट स्थापित किए जाने थे।

सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद इस सड़क पर हादसे हो रहे हैं। इससे पूर्व इस वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान 04 सितम्बर को एक इनोवा टैक्सी HP 01D 4567 भी इसी स्थान से कुछ मीटर की दूरी पर सड़क से खेतों में जा गिरी थी जिसमें धर्मशाला से मणिमहेश यात्रा पर आए तीन श्रद्धालु घायल हो गए थे। यूं कहें कि सचूईं से अप्पर ददवां मोड़ तक के करीब एक किमी के रास्ते में अब तक आधा दर्जन वाहन हादसे के शिकार हो चुके हैं।

लोगों की पुलिस व सरकार से मांग है कि सड़क हादसों के लिए केवल चालक को जिम्मेदार ठहराने से पूर्व दुर्घटना के सभी पहलुओं की जांच करने के बाद पाए जाने वाले तथ्यों के आधार पर कार्यवाही की जाए। अगर उसमें सड़क की खराबी के कारण हादसा होने का प्रमाण मिलता है तो उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए । अगर वाहन में कोई खराबी के कारण हादसा हुआ हो तो उसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति अथवा कम्पनी पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस संदर्भ में लोनिवि अधिशासी अभियंता की टिप्पणी भी गौर करने योग्य है। उन्होंने बताया कि पूरी सड़क पर क्रैश बैरियर लगाना मुश्किल है क्योंकि इस पर बहुत अधिक खर्च आता है। वहीं ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इसके लिए IRC के नियमों के अनुसार आवश्यक है कि पहले वहां तीन दुर्घटनाएं हुई हों। हालांकि उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना स्थल पर सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे।


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