घोघड़, धर्मशाला, 03 अप्रैल : गद्दी समुदाय भेड़-बकरी पालन के अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहा है। योजनाबद्ध तरीके से भेड़-बकरियों का चोरी किया जाना, सड़क पर चलते रेवड़ को वाहनों द्वारा निर्दयता से कुचलना, चारागाहों की कमी होना, ऊन का सरकारी समर्थन मूल्य कम होना इत्यादि कई कारण है।
भेड़ पालकों का कहना है कि चोर रात के अंधेरे में रेवड़ से कुछ भेड़-बकरियों को वाहनों में डालकर ले जाते हैं। यही नहीं कई बार तो चोर भेड़ पालकों पर बंदूक तान कर उनसे ही भेड़ बकरियों को गाड़ी में भरवा कर लूट लेते हैं। एक तो उनके पास उनके पास अपने शेष पशुधन को छोड़कर पुलिस में शिकायत करवाने का समय नहीं होता वहीं दूसरी ओर अगर कोई शिकायत दर्ज करवा भी दे तो कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती है जिससे भेड़ पालकों को समय और धन के नुकसान के साथ-साथ मानसिक पीड़ा भी सहनी पड़ती है।
ताजा मामला कांगड़ा जिला के पुलिस थाना रक्कड़ के अंतर्गत आने वाले उपरला चपलाह क्षेत्र का है जहां 16 मार्च की रात्रि रामसिंह, जसपाल व सुभाष नामक भेड़ पालकों के रेवड़ से दर्जनों भेड़ बकरियां चोरी की गई हैं। जसपाल पुत्र मुंशी राम निवासी गांव गुलेई, तहसील होली, भरमौर ने पुलिस थाना रक्कड़ में शिकायत दर्ज करवाई है कि वह अपने परमिट के अनुसार रक्कड़ की चारागाहों में अपने भाई सुभाष के साथ अपने पशुधन के चराते हैं। गत 16 मार्च को सांय वे उपरला चपलाह नामक स्थान पर स्थापित अपने अस्थाई रात्रि ठहराव के लिए रुके थे । अगली सुबह 17 मार्च को उन्होंने राजमर्रा की भान्ति भेड़ बकरियों की संख्या देखी तो उसमें से चार भेड़ें व पांच बकरियां कम थी। जसपाल ने कहा कि कम हुई इन भेड़ बकरियों की तलाश में वे सारा दिन जंगल में भटकते रहे । उन्होंने कहा कि लोगों से पता चला कि इस क्षेत्र में भेड़-बकरी चुराने वाले गिरोह सक्रिय हैं सिहूंता निवासी दिलबर सिंह की भेड़ बकरियां भी 17 मार्च की रात्रि चोरी हुई हुई थी। जिसके बाद पुलिस थाना रक्कड़ को व्हाट्स एप्प के माध्यम अपने पशुधन की चोरी होने की सूचना दी।
पुलिस थाना रक्कड़ में जसपाल सिंह की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता 3(5) व 303(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने शिकायत कर्ता के ब्यानों के आधार पर संदिग्ध लोगों के ठिकानों पर दबिश देकर एक वाहन को छानबीन के लिए कब्जे में लिया है। पुलिस अण्वेषण अधिकारी सहायक उप निरीक्षक इलम द्दीन ने बताया कि मामले की पड़ताल की जा रही है,कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को ढूंढकर सजा दिलवाई जाएगी। उन्होंने माना है कि इस क्षेत्र में ऐसी घटना इकलौती नहीं है, इससे पूर्व भी यहां से भेड़ बकरियों की चोरियों के मामले सामने आए हैं।
भेड़ पालकों के साथ घटा यह केवल एक मामला नहीं है, बहुत से मामले तो पुलिस तक इसलिए पहुंच पाते क्योंकि भेड़पालकों को शिकायत करने पर जान का खतरा रहता है। ग्राम पंचायत सचूईं के भेड़ पालक ओंकार, यशपाल, विजय बताते हैं कि भेड़-बकरी पालन व्यवसाय अब जोखिम भरा हो गया है । चोर बेखौफ होकर भेडपालकों के पशुधन को चुरा रहे हैं। सरकार भेड़ पालकों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही जिस कारण वे अपने बच्चों को इस व्यवसाय से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं। वर्षा,बर्फ, व तपती गर्मी मे जब लोग अपने घरों का सुरक्षा कवच ओढ़े होते हैं उस समय भी भेड़ पालक खुले आसमान के नीचे जंगलों में अपने पशु धन के साथ हालात के साथ जी रहे होते हैं। भेड़ पालकों ने कहा कि सरकार हमारे पशुधन की सुरक्षा, चारगाहें, ऊन का उचित मूल्य व पशुओं को बीमारी से बचाने की व्यवस्था कर दे इससे अधिक उन्हें कुछ नहीं चाहिए।
भरमौर विस क्षेत्र के विधायक डॉ जनक राज ने भी इस बात पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने भेड़ पालकों के पशुधन की सुरक्षा से लेकर उनकी अन्य समस्याओं के मुद्दे को विधानसभा में उठाया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस विषय पर कदम उठाने का इन्तजार है। उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों के यह मुद्दे गद्दी समुदाय अस्तित्व से जुड़े हैं इसलिए इनका स्थाई समाधान करवाया जाएगा।