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घोघड़, चम्बा 20 मई :  जनजातीय मुख्यालय भरमौर स्थित एक प्राईवेट स्कूल में आज दोपहर चीखो पुकार मच गई । कुछ छात्राओं ने सिर दर्द, सांस लेने की परेशानी व घबराहट की शिकायत की। एक दो छात्राओं से आरम्भ हुई इस शिकायत ने अचानक कुछ अन्य छात्राओं को भी अपनी चपेट में ले लिया। पहले तो स्कूल स्टाफ ने इसे सामान्य मान कर छात्राओं को पानी पिलाकर, खुले स्थान में बैठने के लिए कहा परंतु छात्राओं की स्थिति लगातार बिगड़ने पर उन्हें नागरिक अस्पताल भरमौर लाया गया। अस्पताल की ओर ले जाते हुए भी छात्राएं वाहन में लागातार चीख रही थीं। जिसको भी घटना का पता चला वे अस्पताल में स्थिति जानने के लिए दौड़ पड़े। थोड़ी देर के उपचार के बाद उनका स्वास्थ्य सामान्य हो गया और उन्हें घर भेज दिया गया।

घटना के कारणों पर लोगों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कुछ लोगों का मानना है कि यह स्कूल जंगली क्षेत्र में सुनसान स्थान पर है जहां बच्चों को घबराहट होती है शायद इसी कारण बच्चों में यह दौरे वाली स्थिति उत्पन्न हुई हो जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना था कि बच्चों पर अत्याधिक मानसिक दबाव होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

डॉ रुचिका ठाकुर, नागरिक अस्पताल भरमौर

इस संदर्भ में नागरिक अस्पताल भरमौर का प्रबंधन सम्भाल रही डॉ रुचिका ठाकुर ने कहा कि दोपहर बाद एक निजि विद्यालय की छः/सात छात्राएं अस्पताल लाई गई थीं जोकि मास हिस्टीरिया का शिकार थीं। जिन्हें कुछ समय तक अस्पताल में उपचार व परामर्श के लिए अस्पताल में रखा गया था स्थिति सामान्य होने के बाद उन्हें घर भेज दिया है।

डॉ रुचिका ने कहा कि मास हिस्टीरिया एक मनोवैज्ञानिक घटना है जिसमें एक समूह के लोग एक साथ, बिना किसी शारीरिक कारण के, समान शारीरिक लक्षणों, व्यवहारों, या भय का अनुभव करने लगते हैं। इसे “सामूहिक साइकोजेनिक बीमारी” भी कहा जाता है। इस स्थिति में लोग बिना किसी जैविक या पर्यावरणीय कारण के एक ही समय पर समान शारीरिक या मानसिक लक्षणों को महसूस करते हैं। उन्होंने् अभिभावकों व अध्यापकों को बच्चों पर मानसिक दबाव कम रखने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इस घटना की शिकार सभी लड़कियां थीं व वे तेरह से सत्रह वर्ष आयु वर्ग की थीं। चूंकि लड़कियां भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील होती हैं वहीं इस आयु अवधि में उनके शरीर में रासायनिक बदलाव हो रहे होते हैं इसलिए भी वे मास हिस्टीरिया की चपेट में आ जाती हैं।

मास हिस्टीरिया का शिकार कौन हो सकता है:

मास हिस्टीरिया के शिकार अक्सर एक साथ रहने वाले लोग होते हैं, जैसे:

  1. स्कूल के बच्चे
  2. कार्यस्थल के कर्मचारी
  3. धार्मिक या सामाजिक समूह
  4. क़ैदखाने में कैदी
  5. सामुदायिक समूह

इसके लक्षण:

मास हिस्टीरिया के लक्षण विभिन्न हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसमें शामिल होते हैं:

  1. अचानक घबराहट या चिंता
  2. सांस लेने में कठिनाई
  3. सिरदर्द या चक्कर आना
  4. पेट में दर्द या उल्टी
  5. कंपन या झटके
  6. बेहोशी
  7. अस्पष्ट दर्द या संवेदनाएं

उपचार:

मास हिस्टीरिया का उपचार सामूहिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोणों से किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:

  1. मनौवैज्ञानिक समर्थन: विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की सहायता से समूह की चिंता और डर को दूर करना।
  2. सामाजिक हस्तक्षेप: प्रभावित समूह को आश्वस्त करना कि उनकी शारीरिक लक्षणों का कोई वास्तविक जैविक कारण नहीं है और यह सामूहिक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा: समूह को शिक्षित करना कि मास हिस्टीरिया क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटा जा सके।
  4. रिलैक्सेशन तकनीकें: योग, ध्यान, और सांस लेने की तकनीकें तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  5. समर्थन प्रणाली: सामाजिक समर्थन प्रणाली, जैसे परिवार और दोस्तों का समर्थन, समूह के सदस्यों की मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है।

मास हिस्टीरिया आमतौर पर अस्थायी होती है और उचित मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से इसे नियंत्रित और समाप्त किया जा सकता है।


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