घोघड़, चम्बा 18 मई : एक माह से अधिक समय से खड़मुख-गरोला सड़क मार्ग भूस्खलन के कारण बाधित है जिससे हजारों लोगों को रोजमर्रा की वस्तुओं व निर्माण सामग्री के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं लोनिवि इस सड़क मार्ग को पुनः बहाल करने में जुटा है। वस्तुतः होली घाटी में विद्युत परियोजना निर्माण में जुटी कम्पनियां सड़क को बहाल करने में अपनी मशीनरी के साथ सहयोग कर रही हैं। सड़क बहाल करने के लिए चट्टानों को ब्लास्ट करके तोड़ा जा रहा है जिससे उत्पन्न कम्पन से रावी नदी पार स्थित खणी पंचायत के घरों में भूकम्प जैसे हालात बन गए हैं।
लोगों ने इस समस्या के समाधान के लिए आज एक बैठक कर स्थानीय प्रशासन व सरकार से मांग की है कि सड़क मार्ग को बहाल करने के लिए भारी ब्लास्ट के बजाए हल्के ब्लास्ट किए जाएं ताकि उनके घरों को कोई नुक्सान न हो। ग्राम पंचायत खणी के उप प्रधान सुनील , युवक मंडल खणी प्रधान अभय ठाकुर , युवा शिव शक्ति क्लब भ्याट सचिव ख्याली राम सहित दर्जनों लोगों ने बैठक में कहा कि सड़क को बहाल करने के लिए अवैज्ञानिक तकनीक अपनाई जा रही है। सड़क के कार्य के लिए इतने भारी ब्लास्ट किए जा रहे हैं कि नदी के दूसरी ओर के गांवों खणी, अर्की,वक्रोड़, गोड़ , कनोता , दपोता , लमनोता आदि के घर थर-थर कांप रहे हैं। कम्पन इतने तीव्र बताए जा रहे हैं कि ब्लास्टिंग के दौरान रसोईघर के बर्तन तक गिर जाते हैं।
उन्होंने आशंका जताई कि इस प्रकार के भारी ब्लास्ट जारी रहे तो उनके घरों को भी क्षति हो सकती है जिसकी जिम्मेदारी लोनिवि व स्थानीय प्रशासन की होगी। इन लोगों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसे कार्यों के लिए विशेष नियम बनाए हैं परंतु विभाग नियमों की अवहेलना करके अवैज्ञानिक तरीके से सड़क के लिए पहाड़ी को कटवा रहा है जिससे लाभ होने के बजाए हानि अधिक हो रही है। हैवी ब्लास्ट के कारण सड़क ऊपरी भाग की भूमि में भूस्खलन बढ़ रहा है जिससे गिरता मलबा रावी नदी में भी अवरोध उत्पन्न कर रहा है। लोगों ने कहा कि सड़क मार्ग को बहाल करना आवश्यक है परंतु इसमें अवैध तकनीक का प्रयोग न किया जाए।
इस संदर्भ में सहायक अभियंता लोनिवि गरोला भल चंद ने कहा कि लोनिवि अवरुद्ध सड़क को जल्द बहाल करने के कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि ब्लास्टिंग में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। विभाग अपने पास उपलब्ध विकल्पों व संसाधनों के साथ कार्य कर रहा है। ब्लास्टिंग से नदी पार स्थित गांवों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता क्योंकि ब्लास्ट केवल उन्हीं चट्टानों को किया जा रहा है जो पहाड़ी से टूटकर बाहर उभरी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि एक माह से अवरुद्ध सड़क मार्ग के कारण लोगों को अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है इसलिए विभाग मच्छैतर नामक स्थान पर रज्जू मार्ग (घरूरु) स्थापित करने जा रहा है ताकि सियूंर के पैदल पुल पर बढ़ रहे दबाव को कम किया जा सके।आगामी तीन से चार दिनों में यह रज्जू मार्ग स्थापित हो जाएगा।
बहरहाल बाधित खड़ामुख-गरोला सड़क की स्थिति यह है कि एक ओर विभाग सड़क के लिए खोदाई कर रहा है तो कुछ ही देर बाद वहां उपरी भाग से फिर भूस्खलन हो रहा है। यह स्थिति तब तक बने रहने का अनुमान है जबतक कि उक्त स्थल पर पक्की चट्टानी पहाड़ी सामने नहीं आती। सड़क मार्ग कब तक बहाल होगा इस पर लोनिवि भी कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहा क्योंकि क्योंकि वर्षा व ब्लास्टिंग के कारण भूस्खलन लगातार जारी है जिससे कार्य करने में भी जोखिम उत्पन्न हो रहा है।
पहाड़ी इलाकों में सड़क का निर्माण व रख रखाव करना बहुत जटिल काम है। नदियों, पुलों की स्थिति, पृथक आबादी वाले इलाकों को जोड़ना, कृषि और वन भूमि को बचाना, अस्थिर ढलानों से बचना, यह कुछ ऐसे कारक हैं जो आदर्श संरेखण को सीमित करते हैं। इसलिए, सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा योजना एवं आकलन के कार्यान्वयन हेतु इन नियमों का पालना करना सुनिश्चिति बनाया जाता है।
(1) किसी भी सड़क का संरेखण इस प्रकार होना चाहिए कि:
(i) यह वन भूमि के न्यूनतम क्षेत्र को पार करता है।
(ii) यह भूस्खलन और मिट्टी के कटाव वाले क्षेत्रों से बचाता है।
(iii) ऐसे सड़क निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या न्यूनतम होनी चाहिए।
(iv) जहां तक संभव हो, विस्फोटकों के उपयोग के माध्यम से भारी विस्फोट से बचा जा सकता है।
(v) जल स्रोतों को यथासंभव संरक्षित किया जाना चाहिए।
(vi) प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली में न्यूनतम रुकावट होनी चाहिए ।
(vii) जहां तक संभव हो, भूमि को अत्यधिक काटने और भरने से बचना चाहिए।
(2) सड़क से अतिरिक्त मलबे के निपटान के लिए उपयुक्त और सुरक्षित डंपिंग स्थलों की पहचान करें। डंपिंग साइटों से आसपास की सार्वजनिक और निजी संपत्ति और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और इन साइटों की क्षमता पर्याप्त होनी चाहिए।
सरकार ने इन नियमों की पालना सुनिश्चित बनाने के लिए यह समिति जिम्मेदार होगी जिसमें
(i) क्षेत्र के सहायक अभियंता (पीडब्ल्यूडी)।
(ii) क्षेत्र के सहायक अभियंता (जल शक्ति)।
(iii) क्षेत्र के सहायक वन संरक्षक।
(iv) स्थानीय ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रधान।
(v) क्षेत्र के कानूनगो और पटवारी।
(vi) कनिष्ठ अभियंता (आरडीडी) जहां ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सड़कें प्रस्तावित हैं
सड़क और समिति की गतिविधियों के बारे में उपरोक्त सभी सदस्यों को उपरोक्त नीति के कार्यान्वयन के संबंध में सभी समिति सदस्यों/जनता की संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए यथासंभव बार-बार मिलना चाहिए। समिति के सदस्य निरीक्षण के लिए एक साथ जा सकते हैं।