बैठक में उपायुक्त ने बताया कि लखपति दीदी पहल के अंतर्गत ज़िले के विभिन्न विकास खंडों से अब तक 7009 “अप्रूव्ड पोटेंशियल दीदियों” का चयन किया गया है। उन्होंने इस संख्या को और बढ़ाने और सदस्यों के कौशल विकास के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उपायुक्त ने विभिन्न विभागों, जैसे ग्रामीण विकास, कृषि, पशुपालन, उद्योग, और मत्स्य पालन विभाग की योजनाओं को आपस में समन्वित कर स्वयं सहायता समूहों की आय में वृद्धि करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) के माध्यम से भेड़-बकरी पालक क्षेत्रों में शीप शीअरिंग मशीन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाए।
मुकेश रेपसवाल ने 3 से 6 लाख रुपये वार्षिक आय अर्जित करने वाली “लखपति दीदियों” की सफलता की कहानियों को अन्य समूहों के साथ साझा करने और खंड स्तर पर जागरूकता शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया।
उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री के लिए प्रत्येक विकास खंड में बिक्री केंद्र स्थापित करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में अतिरिक्त ज़िला दंडाधिकारी अमित मेहरा, ज़िला विकास अधिकारी ओपी ठाकुर, उपनिदेशक पशुपालन डॉ. मुंशी कपूर, उपनिदेशक कृषि डॉ. भूपेंद्र सिंह, ज़िला रोजगार अधिकारी अरविंद सिंह चौहान, और अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।