घोघड़,शिमला, 18 जनवरी : हिमाचल प्रदेश सरकार ने भूमि रिकॉर्ड को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के उद्देश्य से आधार नंबर को भूमि मालिकों के रिकॉर्ड से जोड़ने के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है। इस संदर्भ में भूमि रिकॉर्ड निदेशालय ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी किए हैं।
सरकार का यह कदम भूमि रिकॉर्ड में सार्वजनिक सेवा और सुशासन को बेहतर बनाने के लिए उठाया बताया जा रहा है। अभियान का उद्देश्य आधार नंबर के माध्यम से भूमि मालिकों की जानकारी को प्रमाणित करना और विभिन्न प्रमाणपत्रों की निर्बाध प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
सहमति आधारित आधार सीडिंग : भूमि मालिकों का आधार नंबर रिकॉर्ड में जोड़ने के लिए उनकी सहमति प्राप्त की जाएगी। इसके लिए उपमंडल अधिकारी (Revenue) और तहसीलदारों को मिशन मोड में काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
पटवारियों की भूमिका : पटवारी इस अभियान में घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे और स्थानीय स्तर पर कैंप आयोजित करेंगे। इस कार्य के लिए प्रति सहमति ₹2 का मानदेय पटवारियों को दिया जाएगा।अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होने पर विशेष दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
तकनीकी सहायता : डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं प्रशासन विभाग और NIC (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) अभियान को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे।
प्रचार-प्रसार : भूमि मालिकों के बीच इस अभियान के लाभों का प्रचार करने और उन्हें भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया गया है।
भूमि मालिकों के लिए लाभ:
यह पहल भूमि मालिकों के लिए प्रमाणपत्रों और सेवाओं को तेजी और आसानी से प्राप्त करने में मदद करेगी। इसके साथ ही, भूमि रिकॉर्ड में गड़बड़ियों और धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा।
निदेशक, भूमि रिकॉर्ड, रितिका (IAS) ने कहा कि “यह पहल सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा है और इससे भूमि मालिकों को सेवाओं का लाभ अधिक आसानी से मिलेगा। जिला अधिकारियों और पटवारियों से अनुरोध है कि वे इसे प्राथमिकता के आधार पर सफल बनाएं।”
सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद प्रदेश के करीब-करीब पटवार वृत्तों में भूमि के केवाईसी का कार्य जोर शोर से आरम्भ हो गया है। यह अभियान प्रदेश भर में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।