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घोघड़, शिमला, 4 जून 2025 : हिमाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में लिए गए कुछ फैसले आमजन के लिए उलझन का कारण बनते जा रहे हैं। रोेगी कल्याण समिति (RKS) को सुदृढ़ करने के नाम पर जहाँ एक ओर मरीजों से ₹10 की परामर्श शुल्क वसूलने की अधिसूचना जारी की गई, वहीं दूसरी ओर सामाजिक तौर पर संवेदनशील माने जा रहे निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं को कुछ ही दिनों में वापिस ले लिया गया है।

पहला आदेश – शुल्क वसूली की शुरुआत – दिनांक 26 मई, 2025 को स्वास्थ्य विभाग ने अधिसूचना जारी की जिसमें रोेगी कल्याण समितियों द्वारा सफाई, उपकरणों की मरम्मत और अन्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से ₹10 की परामर्श शुल्क सभी मरीजों से वसूलने का निर्णय लिया गया। यह शुल्क अस्पताल में पंजीकरण के समय लिया जाएगा। यह फैसला कैबिनेट की उप समिति की सिफारिश पर लिया गया।

दूसरा आदेश – 14 वर्गों को मुफ्त जाँच और एक्स-रे – उसी दिन (26 मई 2025) एक अन्य आदेश में स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की थी कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में 14 विशेष श्रेणियों के लोगों को 133 प्रकार की जाँचें और एक्स-रे निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएंगी। इन श्रेणियों में कैंसर, टीबी, एचआईवी, गर्भवती महिलाएं, नवजात, वृद्धजन, विधवा, अनाथ, विकलांग (40% से अधिक) आदि शामिल थे।

तीसरा आदेश – राहत वापिस – हालांकि, महज दो दिन बाद 28 मई, 2025 को स्वास्थ्य विभाग ने एक और अधिसूचना जारी कर 14 श्रेणियों को मिलने वाली इन मुफ्त जाँचों की सुविधा को वापिस ले लिया। इस वापसी के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया गया, लेकिन यह फैसला लोगों के बीच असंतोष का कारण बन रहा है।

जनता में नाराजगी – आम लोगों ने अस्पताल में पर्ची के ₹10 शुल्क को लेकर नाराजगी जताई है। ग्रामीण और निर्धन वर्ग, जिनके लिए यह स्वास्थ्य सेवाएं जीवन रेखा हैं, अब खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार जहां एक ओर ₹10 शुल्क को लागू कर रही है, वहीं दूसरी ओर उन योजनाओं को भी वापिस ले रही है जो गरीबों के लिए राहत का साधन थीं।

राजनीतिक हलकों में भी इस निर्णय को लेकर सरकार की आलोचना शुरू हो गई है। विपक्ष ने इसे गरीब विरोधी नीति करार देते हुए मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है।

विधायक डॉ जनक राज ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा “निशुल्क उपचार आमजन का अधिकार है। हिमाचल सरकार ने 5 जून से OPD पर्ची पर ₹10 और 133 जांचों पर शुल्क लगाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार को आय बढ़ाने के लिए यह फैसला उचित लग रहा है लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि पहाड़ के लोग रोज़ की रोटी के लिए भी संघर्ष करते हैं।
दूर-दराज़ गांवों से सरकारी अस्पताल तक पहुंचना आसान नहीं होता। जब कोई बुजुर्ग, मजदूर, कोई मां अपने बीमार बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे तो उसे पहले पर्ची की कीमत चुकानी पड़े, यह तो अन्याय है।

राज्य सरकार को चाहिए कि वह इन निर्णयों पर पुनः विचार करे और यह सुनिश्चित करे कि रोेगी कल्याण समितियों को सुदृढ़ करने की प्रक्रिया आमजन की पहुंच से स्वास्थ्य सेवाओं को दूर न कर दे। निशुल्क जांच और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं लोगों का अधिकार हैं, न कि विकल्प”।


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