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घोघड़ चम्बा,02 जुलाई : कहते हैं शिक्षा के बिना मानव को कोई मानव नहीं बना सकता और ऐसी शिक्षा निःस्वार्थ स्वभाव वाले अध्यापकों के सम्भव भी नहीं है। शिक्षा की रोशनी से उन्होने अपने जीवन को प्रकाशमयी किया और जिस स्थान पर उनका शिक्षा रुपी प्रकाश की पहली किरणों से साक्षात्कार हुआ था उस शिक्षा के मंदिर को दक्षिणा देने के लिए वे वहां आज 37 वर्षों बाद लौटे थे।

 

 

हुआ यूं कि आज 02 जुलाई 2024 की सुबह कुछ लोग राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खणी पहुंचे जहां उन्होंने स्कूल प्रबंधन को बताया कि वे स्कूली बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ मिठाई, राशि व शिक्षण सामग्री भेंट करना चाहते हैं। स्कूल प्रबंधन से जब उनका परिचय हुआ तो पता चला कि वे इस स्कूल के पूर्व छात्र हैं। वर्ष 1976 से 1987 बैच के दो पूर्व छात्रों संजीव कुमार एवं मुकेश पाल सिंह ने स्कूल में उपस्थिति देकर सबको चौंका दिया । स्कूल में किसी को पता तक नहीं था कि इस स्कूल में उत्तर प्रदेश के दो भाई भी कभी पढ़ा करते थे । संजीव कुमार व मुकेश पाल सिंह दिल्ली से अपने इस स्कूल को देखने व उसके विकास में अंशदान के लिए यहां पहुंचे थे।

संजीव कुमार इस समय एलेगेंट इन्फ्रा नामक कम्पनी के मालिक हैं व उनके भाई मुकेश पाल सिंह दिल्ली में अधिशासी अभियंता (सिविल) के पद पर असीन हैं। उन्होंने स्कूल के अध्यापकों को सम्मानित करने के साथ-साथ स्कूली बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एक लाख रुपए का चैक,ढेर सारी शिक्षण सामग्री व बच्चों के लिए मिठाई स्कूल की कार्यकारी प्रधानाचार्य मीना चाढ़क को सौंपी । उन्होंने कहा कि इस विद्यालय से जो उन्होंने पाया है उसके लिए वे कुछ भी देने के योग्य नहीं हैं परंतु यह भक्त द्वारा मंदिर में चढ़ाई भेंट की तरह है ।

इस दौरान उनके साथ आए एच के कंसल जोकि उत्तर प्रदेश में जल बोर्ड में मुख्य अभियंता की सेवाएं प्रदान कर चुके हैं, ने भी 51,000 रुपए की नकद राशि स्कूल के विकास हेतु प्रदान की।

गौरतलब है कि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश निवासी स्व. जयदेव वर्ष 1976 से 1987 तक खणी स्कूल में मुख्याध्यापक के पद पर तैनात थे। संजीव कुमार एवं मुकेश पाल सिंह उन्हीं के पुत्र हैं जिन्होंने अपने पिता के साथ रहते हुए इसी स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी। मुकेश पाल बताते हैं कि इस स्कूल की यादें आज भी हमारे जहन में ताजा हैं। वे वर्षों से अपने बचपन को पुनः जीने के लिए इस स्कूल में आने की इच्छा पाले हुए थे। उन्होंने कहा कि इस जनजातीय क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव के बावजूद अगर विद्यार्थी उच्च पदों पर पहुंचे हैं तो इसमें अध्यापकों का योगदान सबसे अधिक हैं इसलिए वे आज भी अध्यापकों का सम्मान करते हैं। उन्होंने आशा जताई कि जिस प्रकार इस स्कूल ने शिक्षा की रोशनी से चमकाया है अन्य विद्यार्थियों को भी उसी प्रकार की शिक्षा का लाभ मिल रहा होगा।

इस अवसर स्कूल प्रबंधन ने पूर्व छात्रों की व वशिष्ठ अतिथि एच के कंसल को समृति चिन्ह व हिमाचली टोपी पहनाकर सम्मानित उनका आभार व्यक्त किया।


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