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घोघड़, नई दिल्ली 21 फरवरी : “रेडियो पर श्री अमीन सयानी जी की मखमली आवाज़ में एक आकर्षण और गर्मजोशी थी जिसने उन्‍हें पीढ़ियों से परे लोगों को अपना बना लिया। अपने काम के जरिए, उन्होंने भारतीय प्रसारण में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने श्रोताओं के साथ बहुत ही मधुर संबंध स्‍थापित किया। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार, प्रशंसकों और सभी रेडियो प्रेमियों के प्रति संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।” उपरोक्त वक्तव्य प्रधानमंत्री ने अपने एक्स चैनल पर दिया है।

आइए जानते है अमीन सयानी के बारे कुछ बातें –

अमीन सयानी: रेडियो के जादूगर

जन्म: 23 नवंबर 1932

मृत्यु: 20 फरवरी 2024

पेशा: रेडियो एंकर, निर्माता, लेखक

प्रसिद्ध कार्यक्रम: बिनाका गीतमाला, महफिल-ए-गीत

पुरस्कार: पद्मश्री (1972), पद्म भूषण (2009)

अमीन स्यानी भारत के एक प्रसिद्ध रेडियो एंकर, निर्माता और लेखक थे। उन्हें “रेडियो के जादूगर” के रूप में जाना जाता था।

प्रारंभिक जीवन:

अमीन स्यानी का जन्म 23 नवंबर 1932 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता एक वकील थे और उनकी माँ एक गृहिणी थीं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई में ही पूरी की।

रेडियो करियर:

स्यानी ने 1951 में ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) में एक उद्घोषक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने जल्द ही अपनी मधुर आवाज और आकर्षक व्यक्तित्व के साथ लोकप्रियता हासिल की।

1952 में, वे रेडियो सीलोन (जो अब श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन है) में शामिल हो गए। यहाँ उन्होंने “बिनाका गीतमाला” नामक एक संगीत कार्यक्रम की शुरुआत की, जो जल्द ही पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया।

बिनाका गीतमाला भारत का पहला काउंटडाउन शो था, जो हर बुधवार रात 8 बजे प्रसारित होता था। इस कार्यक्रम में स्यानी हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों को बजाते थे और उनके बारे में जानकारी देते थे।

बिनाका गीतमाला ने स्यानी को घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया। उनकी मधुर आवाज और आकर्षक व्यक्तित्व के कारण लोग इस कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार करते थे। 

स्यानी ने कई अन्य लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रमों जैसे “महफिल-ए-गीत”, “आवाज की दुनिया” और “फिल्मों की दुनिया” की भी मेजबानी की।

पुरस्कार और सम्मान:

स्यानी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2009 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

मृत्यु:

अमीन स्यानी का निधन 20 फरवरी 2024 को 91 वर्ष की आयु में मुंबई में हुआ।

विरासत:

अमीन स्यानी ने भारतीय रेडियो के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने रेडियो को मनोरंजन और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाया। उनकी मधुर आवाज और आकर्षक व्यक्तित्व आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

अमीन स्यानी के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • उन्होंने 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों की मेजबानी की।
  • उन्होंने 19,000 से अधिक स्पाट्स और जिंगल्स रिकॉर्ड किए।
  • उन्हें “बिनाका गीतमाला के मास्टर” के रूप में जाना जाता था।
  • वे एक कुशल लेखक भी थे और उन्होंने कई किताबें लिखीं।

अमीन स्यानी भारतीय रेडियो के एक स्तंभ थे। उन्होंने रेडियो को मनोरंजन और शिक्षा का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाया। उनकी मधुर आवाज और आकर्षक व्यक्तित्व आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।


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