घोघड़, दिल्ली,10 दिसम्बर 2024 : एक लिखित प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने लोकसभा में बताया कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां (LEA) साइबर अपराध और डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी जैसे मामलों की रोकथाम, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार इन एजेंसियों को वित्तीय सहायता और परामर्श देकर उनकी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करती है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): सभी प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए I4C की स्थापना की गई है।
डिजिटल गिरफ्तारी से जुड़े 1700 से अधिक स्काइप आईडी और 59,000 व्हाट्सएप खातों को ब्लॉक किया गया। फर्जी कॉल और ऑनलाइन ठगी पर लगाम के लिए अंतरराष्ट्रीय कॉल ट्रैकिंग और ब्लॉकिंग सिस्टम लागू किया गया।
दिल्ली मेट्रो में घोषणाएं, सोशल मीडिया पोस्ट, आकाशवाणी कार्यक्रम, और विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता फैलाई गई। नई दिल्ली में राहगीरी जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
नागरिकों के लिए https://cybercrime.gov.in पोर्टल शुरू किया गया है। खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर ध्यान दिया गया है। इस पोर्टल पर दर्ज शिकायतों पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की एजेंसियां कार्रवाई करती हैं।
वर्ष 2021 में शुरू की गई प्रणाली के तहत अब तक 9.94 लाख शिकायतें निपटाई गईं, जिससे 3431 करोड़ रुपये की हेराफेरी रोकी गई। टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सहायता उपलब्ध है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे X (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक, और इंस्टाग्राम के माध्यम से जागरूकता संदेश प्रसारित किए गए। स्कूलों में हैंडबुक, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर डिजिटल डिस्प्ले लगाकर प्रचार किया जा रहा है।
6.69 लाख सिम कार्ड और 1.32 लाख IMEI ब्लॉक किए गए। एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट (2022) में डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी से संबंधित अलग आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों को नियंत्रित करने और नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल माहौल देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं।