घोघड़, शिमला, 30 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के चेयरमैन रघुवीर सिंह बाली ने आज एक अहम प्रेस वार्ता में ऐलान किया कि एचपीटीडीसी का मुख्यालय अब राजधानी शिमला से स्थानांतरित होकर जिला कांगड़ा में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय करार दिया, जो राज्य के पर्यटन विकास की नई दिशा तय करेगा।
बाली ने जानकारी दी कि वर्ष 1972 से एचपीटीडीसी का मुख्यालय शिमला के मॉल रोड पर किराए की एक इमारत में संचालित हो रहा था और समय-समय पर उसे खाली करने के नोटिस मिलते रहे हैं साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा कांगड़ा को “पर्यटन राजधानी” घोषित किए जाने के दृष्टिगत, आज बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में सर्वसम्मति से मुख्यालय को कांगड़ा स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया।
बाली ने बताया कि अब एचपीटीडीसी के एमडी, जीएम, डीजीएम समेत समस्त कार्यालय स्टाफ धर्मशाला में कार्यरत होगा। इसके लिए नई इमारतों की पहचान की जा रही है और नगर निगम धर्मशाला ने भी कुछ खाली सरकारी भवनों की पेशकश की है, जिन्हें मूल्यांकन के बाद उपयोग में लाया जाएगा।
अपने कार्यकाल की उपलब्धियां साझा करते हुए बाली ने कहा कि उन्होंने कार्यभार संभालने के समय एचपीटीडीसी की टर्नओवर 78 करोड़ रुपये थी, जिसे पहले ही वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 109 करोड़ और दूसरे वर्ष में 107 करोड़ रुपये तक पहुंचाया गया। उन्होंने इस वृद्धि को निगम की नीतिगत सुधार, सेवा गुणवत्ता में सुधार और टीम वर्क का परिणाम बताया।
हिमाचल में बारिश, बर्फबारी और भूस्खलन जैसी आपदाएं आम हैं, बावजूद इसके निगम ने रिकॉर्ड टर्नओवर दर्ज किया है। बाली ने कहा कि यह निगम की प्रतिबद्धता और योजनाबद्ध कार्य प्रणाली का प्रमाण है।
बाली ने बताया कि निगम के रिटायर्ड कर्मचारियों को दो वर्षों में 41 करोड़ रुपये के लंबित लाभ वितरित किए गए, जो न केवल वित्तीय दायित्व की पूर्ति है बल्कि वरिष्ठ कर्मचारियों के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है।
एचपीटीडीसी के तहत आने वाले 56 होटलों में से कई वर्षों से बंद या जर्जर अवस्था में थे। अब एडीबी फंडिंग से उनके रेनोवेशन का कार्य शुरू हो चुका है। कई प्रोजेक्ट्स के टेंडर जारी कर दिए गए हैं और कंसल्टेंट्स की नियुक्ति भी की जा रही है। माता का बाग, बीड़-बिलिंग इंस्टीट्यूट और आर्ट एंड कल्चर विलेज जैसी बंद पड़ी प्रॉपर्टीज़ को पुनर्जीवित किया जाएगा।
बाली ने कहा कि इस निर्णय से शिमला की भीड़भाड़ कम होगी और कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने के मुख्यमंत्री के संकल्प को मजबूती मिलेगी। साथ ही पर्यटन के विकेंद्रीकरण की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।