Ghoghad.com

घोघड़, धर्मशाला, 24 अप्रैल 2025 : हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, धर्मशाला ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि कक्षा में प्रयोग होने वाली सभी पाठ्यपुस्तकें एवं प्रायोगिक पुस्तकें अब केवल बोर्ड द्वारा नामित पुस्तक विक्रय केंद्रों (Book Sellers) से ही खरीदी जाएंगी। इसके साथ ही स्कूलों को 30 अप्रैल 2025 तक इन खरीदों के प्रमाणस्वरूप बिल और छात्रों की सूची बोर्ड की संबंधित शाखा में भेजनी होगी।

बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई स्कूल निर्धारित तिथि तक बिल जमा नहीं कराता है, तो उस पर शिक्षा बोर्ड की नियमावली 16.13.2(b)(h) के तहत कार्रवाई की जाएगी।

इस निर्देश का उद्देश्य पुस्तकों की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम की एकरूपता और अनुशासन सुनिश्चित करना बताया गया है, लेकिन इस आदेश ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में चिंता की लहर पैदा कर दी है।

बोर्ड के इस आदेश पर स्कूलों ने अभिभावकों को किताबें खरीदने के लिए दबाव बनाना आरम्भ कर दिया है। जिससे अभिभावकों में रोष उत्पन्न होना आरम्भ हो गया है  खासकर उन अभिभावकों ने कड़ी आपत्ति जताई है, जिनके बच्चे पुराने छात्रों से मुफ्त किताबें लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों के परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि हर वर्ष नई किताबें खरीदी जा सकें। आमतौर पर ये छात्र पुराने छात्रों से मिली किताबों से पढ़ाई करते हैं।

 स्थानीय अभिभावकों का कहना है, “यह आदेश सिर्फ  शिक्षा  बोर्ड के आर्थिक  हित में लगता है। गरीब परिवारों को किताबें खरीदने के लिए मजबूर करना कहां तक उचित है?” अभिभावकों  का कहना है कि  अभिभावक  बच्चों को  अपनी आर्थिक क्षमता अनुसार बेहतरीन  शिक्षा प्रदान कर ने का प्रयास कर रहे हैं जिस दौरान कई आवश्यकताओं से समझौता करना पड़ता है जिसमें नई किताबें खरीदने के बजाए पुरानी  किताबें लेकर  पढ़ाई करना भी शामिल है।  बहुत से बच्चे निजी  विद्यालयों में 25  प्रतिशत कोटे के तहत निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । ऐसी दशा में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों के लिए शिक्षा बोर्ड के यह आदेश आर्थिक समस्या उत्पन्न करने वाले हैं।

निजी स्कूलों के प्रशासन ने भी इस फैसले को लेकर दुविधा जताई है। उनका कहना है कि यदि किताबों की सामग्री बोर्ड द्वारा निर्धारित है, अगर वे शिक्षा बोर्ड के स्टोर से किताबें नहीं उठाएंगे तो बोर्ड उनपर कार्रवाई करेगा। जबकि बच्चों को पुरानी किताबें इस्तेमाल करने देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

अभिभावकों ने स्थानीय विधायक डॉ जनक राज से भी इस समस्या का समाधान करवाने की मांग की है। लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है परंतु सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते ग्राफ व बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अभिभावक उन्हें निजी विद्यालयों में पढ़ाने को विवश हैं। ऐसे में बच्चों को नई किताबें खरीदने का दबाव बनाना अनुचित है।

गौरतलब है कि नई किताबें छापने के लिए पेड़ों के काटने से लेकर उनकी छपाई तक के कार्य से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा।


Ghoghad.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page