घोघड़, हमीरपुर 13 जनवरी : राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में भरमौर अंचल के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है।
एकल अभियान अभ्युदय यूथ क्लब के सौजन्य से हमीरपुर में दो दिवसीय राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता 11 से 12 जनवरी को आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में उत्तर हिमाचल प्रदेश के 18 अंचलों के करीब 450 खिलाड़ियों (महिला-पुरुष) ने भाग लिया । इस प्रतियोगिता में भरमौर अंचल के 32 खिलाड़ियों ने भाग लिया।
राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में भरमौर अंचल के लड़कों की टीम ने कबड्डी में प्रथम स्थान हासिल किया है। यह टीम ने लगातार दूसरे वर्ष यह प्रतियोगिता जीती है।
इसके अतिरिक्त अंचल भरमौर से 400 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में हिमांशु ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
100 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में आयुष कुमार ने रजत पदक प्राप्त किया जबकि लड़कियों के वर्ग में 200 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में साक्षी ने तीसरा स्थान हासिल किया।
इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चयनित किए जाएंगे।
भारत में संचालित एकल विद्यालय व्यवस्था ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा का एक अभिनव मॉडल है। इसका उद्देश्य उन स्थानों पर बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराना है, जहाँ परंपरागत स्कूलों की पहुँच नहीं है। यह विशेष रूप से आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में काम करता है।
एकल विद्यालय एकल-शिक्षक आधारित प्राथमिक शिक्षा प्रणाली है, जहाँ एक शिक्षक गाँव के बच्चों को शिक्षित करता है। इसमें शिक्षा के अलावा सामाजिक विकास, स्वास्थ्य जागरूकता, ग्रामीण विकास और चरित्र निर्माण पर भी ध्यान दिया जाता है।
एकल विद्यालय योजना को मुख्य रूप से एकल अभियान के तहत संचालित किया जाता है। यह एक गैर-सरकारी संगठन आधारित पहल है, जिसमें सामाजिक और धार्मिक संगठनों का सहयोग भी शामिल होता है।
एकल अभियान ट्रस्ट राष्ट्रीय स्तर पर योजना की देखरेख करता है। यह नीति निर्माण, फंड जुटाने, और विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे संगठनों के समन्वय का काम करता है।
क्षेत्रीय स्तर पर ढांचे में व्यवस्था स्थापित करने के लिए संगटन ने भारत को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जिसके अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र में एक क्षेत्रीय समिति होती है, जो स्थानीय जरूरतों और परिस्थितियों के अनुसार कार्यक्रमों को लागू करती है।
स्थानीय स्तर पर प्रत्येक गाँव में एक ग्राम समिति स्थापित की गई है, जो विद्यालय के संचालन में मदद करती है और शिक्षक को प्रोत्साहन देती है।शिक्षक को स्थानीय समुदाय से चयनित किया जाता है, ताकि वह बच्चों और उनके परिवारों के साथ अच्छा सामंजस्य स्थापित कर सके।
एकल विद्यालयों में 30-40 बच्चों का एक समूह होता है जिसमें शिक्षक मल्टीग्रेड टीचिंग (एक साथ विभिन्न कक्षाओं को पढ़ाना) के जरिए पढ़ाई कराता है। बच्चों को हिंदी, गणित, पर्यावरण अध्ययन और नैतिक शिक्षा सिखाई जाती है।
ग्रामीण विकास के लिए वयस्क शिक्षा, स्वरोजगार प्रशिक्षण, और कृषि संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए कैम्प आयोजित करना,लोगों को प्राथमिक चिकित्सा और स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान की जानकारी प्रदान करना संगठन के क्रियाकलापों के प्रमुख भाग हैं।
एकल विद्यालयके अंतर्गत नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जाता है। बच्चों और समुदाय के लोगों को राष्ट्रीयता, समाज सेवा, और अनुशासन के प्रति प्रेरित किया जाता है।
एकल विद्यालयों का वित्त पोषण दान और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के माध्यम से होता है जिसमें भारत व विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस योजना में योगदान देते हैं। न्यूनतम लागत पर इन विद्यालयों का संचालन सुनिश्चित किया जाता है।
एकल विद्यालय न्यूनतम संसाधनों में अधिकतम लाभ देने का प्रयास करते हैं।
जिसमें गाँव के लोगों की सक्रिय भूमिका को प्राथमिकता होती है। यह मॉडल पूरे भारत में हजारों गाँवों में कार्यरत है।
यह मॉडल शिक्षा के साथ-साथ समग्र ग्रामीण विकास की दिशा में एक प्रभावी कदम है।