घोघड़, चम्बा, 12 नवम्बर : 23 सितम्बर को राधाष्टमी स्नान के बाद हड़सर से मणिमहेश झील के बीच के पड़ावों व रास्ते के आस पास बिखरे कचरे को एकत्रित कर कुरांह स्थित ठोस कचरा रिसाइकल प्लांट को भेजने का निर्णय लिया गया था। यात्रा यात्रा समाप्त हुए डेढ माह से अधिक का समय गुजर गया है परंतु मणिमहेश व मार्ग से लाए गए कचरे को ठिकाने लगाने के लिए मणिमहेश न्यास के पास कोई व्यवस्था नहीं है। न्यास ने यह कचरा पहले हड़सर में सड़क के किनारे डम्प किया जब वहां बदबू फैलने पर लोगों ने इस बारे में शिकायत करना आरम्भ किया तो इस कचरे को पट्टी नाला में सड़क किनारे डम्प कर दिया गया अब यह कचरा वहां लोगों की परेशानी का कारण बन गया है।
गौरतलब है कि गत वर्ष भी मणिमहेश से लाए गए कचरे को करांह स्थित ठोस कूड़ा रिसाइकलिंग प्लांट को भेजा गयाथा परंतु स्थानीय पंचायत के लोगों के विरोध के कारण इस कचरे को फिर से भरमौर लाकर पट्टी नाला के पास ठिकाने लगा दिया गया था जिस पर लाखों रुपये इसको इधर से उधर ढोने पर ही खर्च कर दिए गए । इस वर्ष स्थिति फिर से वैसी ही बन गई हैं लोगों के विरोध के देखते हुए न्यास इस कचरे कुरांह नहीं भेज पा रहा व न ही भरमौर में इस रिसाइकलेबल (पुन: प्रयोज्य) कचरे को ठिकाने लगाने के लिए पर्याप्त स्थान है व न ही रिसाइकल करने के साधन।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार ने प्रदेश भर में कचरा रिसाइकलिंग प्लांट इसीलिए स्थापित किए हैं ताकि क्षेत्र में फैले कचरे को रिसाइकल किया जा सके। इससे कई लोगों को रोजगार मिलने के साथ-साथ रिसाइकिल प्रक्रिया से बनी सामग्री को पुनः उपयोग में लाया जा सके। लोगों का कहना है कि कुरांह प्लांट को कचरा देने पर विरोध किया जाना गलत है। इस मामले में जिला प्रशासन को दखल देकर मणिमहेश न्यास के इस कार्य में सहयोग करना चाहिए। मणिमहेश न्यास द्वारा मणिमहेश क्षेत्र को स्वच्छ बनाने का प्रयास तो किया है लेकिन बिना जिला प्रशासन के सहयोग के इसे पूरा नहीं किया जा पा रहा है।
इस बारे में सदस्य सचिव मणिमहेश न्यास एवं उपमंडलाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा का कहना है कि मणिमहेश से एकत्रित किए गए पुनः प्रयोज्य कचरे को भरमौर पहुंचा दिया गया है अगर इसे कुरांह स्थित सयंत्र में स्वीकार नहीं किया जाता तो इसे भरमौर में ही वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाया जाएगा।