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घोघड़, नई दिल्ली 19 दिसम्बर : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार देश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने और उससे निपटने के लिए कई रणनीतियां अपना रही है। उनका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसमी प्रतिमानों और अधिक तीव्र होती आपदाओं का सामना करना है।

डॉ. सिंह ने जानकारी दी कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ प्रमुख मिशन संचालित हो रहे हैं। इनमें सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, और स्थायी कृषि पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा, राज्यों ने भी अपने क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार जलवायु कार्य योजनाएं तैयार की हैं।

प्रमुख पहलें और प्रगति

आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर चक्रवात, बाढ़ और हीटवेव जैसी आपदाओं के प्रबंधन को मजबूत किया है।

जलवायु-अनुकूल कृषि : सरकार ने सूखा-प्रतिरोधी फसलों, जल प्रबंधन तकनीकों, और बदलते मौसम के अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है।

नवीकरणीय ऊर्जा : भारत सौर और पवन ऊर्जा के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।

जल संरक्षण : जल जीवन मिशन और राष्ट्रीय जल मिशन जैसे कार्यक्रम जल प्रबंधन और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में स्थायी जल उपयोग सुनिश्चित करने में सहायक हैं।

जलवायु अनुसंधान : पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) में जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (CCCR) द्वारा विकसित आईआईटीएम-अर्थ सिस्टम मॉडल (IITM-ESM) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने में सहायक है।

जलवायु खतरा और भेद्यता एटलस

मौसम विभाग द्वारा जारी “भारत का जलवायु खतरा और भेद्यता एटलस” 13 प्रकार की मौसम संबंधी घटनाओं की जानकारी प्रदान करता है। यह राज्य सरकारों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को तैयारियों में मदद करेगा।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत, जलवायु लचीलेपन पर डेटा और संसाधन साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह वैश्विक जलवायु कार्रवाई में योगदान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का यह बहुआयामी दृष्टिकोण देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में सक्षम बनाएगा। उनका कहना था कि यह न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की चुनौतियों को भी संबोधित करने के लिए तैयार है।


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