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घोघड़, ऊना, 24 मई : जिला प्रशासन ने ऊना जिले में सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उपायुक्त एवं जिला दंडाधिकारी जतिन लाल ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत छह महीने के लिए निषेधाज्ञा जारी की है। यह आदेश खासतौर पर जिले में नौकरी या व्यवसाय के बहाने आने वाले असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

डीसी जतिन लाल ने बताया कि हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि कुछ लोग बिना किसी पहचान या सत्यापन के ऊना पहुंचते हैं और शॉल बेचने, फेरी लगाने, मोची कार्य, बर्तन मुरम्मत तथा औद्योगिक ठेका कार्यों जैसे असंगठित क्षेत्रों में काम करने लगते हैं। इनकी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी न होने के कारण कई बार अपराध की रोकथाम में बाधा आती है और इससे सार्वजनिक सुरक्षा पर खतरा मंडराता है।

जारी आदेशों के अनुसार अब सभी प्रवासी श्रमिकों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। कोई भी नियोक्ता, ठेकेदार या व्यापारी बिना पुलिस सत्यापन के किसी प्रवासी को रोजगार पर नहीं रख सकेगा। वहीं, जो व्यक्ति स्वयंरोजगार या छोटे व्यापार में लगना चाहते हैं, उन्हें भी अपनी गतिविधियों की जानकारी संबंधित थाना अधिकारी को देनी होगी।

धार्मिक स्थलों को भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने परिसर में आश्रय लेने वाले बाहरी व्यक्तियों का पूरा रिकॉर्ड रखें और पुलिस के पंजीकरण के बिना किसी को ठहरने न दें।

सभी उपमंडलीय पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे लोगों पर कड़ी निगरानी रखें और समय-समय पर इन गतिविधियों की समीक्षा करें। आदेशों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति अथवा नियोक्ता के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।


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