घोघड़, चम्बा 06 मार्च : भरमौर विकास खंड की ग्राम पंचायतों में सीसीटीवी कैमरे, एलईडी टीवी और स्पीकर सिस्टम स्थापित किए जाने को लेकर अनियमितताओं की आशंका जताई जा रही है। इन उपकरणों की खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि न तो पंचायत प्रधानों को और न ही खंड विकास अधिकारी इस संबंध में स्पष्ट जानकारी दे रहे हैं। जब इस बारे में पंचायत प्रधानों और संबंधित अधिकारियों से पूछा गया, तो अधिकांश ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई।
सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक ग्राम पंचायत को तीन-चैनल सीसी कैमरा के लिए ₹26,786, वायरलेस माइक वाले स्पीकर सिस्टम के लिए ₹23,187 और 43 इंच के एलईडी टीवी के लिए ₹49,984 के बिल जारी किए गए हैं। इस हिसाब से भरमौर विकास खंड की हर पंचायत को 99,957 रुपए की यह सामग्री जारी हुई है। इस प्रकार 31 पंचायतों में इन उपकरणों पर करीब 30,98,667 रुपए खर्च होंगे। सूत्र बताते हैं कि पंचायतें यह राशि बैंक में जमा उनकी राशि पर मिलने वाले ब्याज से खर्च किए जाने की योजना है।
प्राप्त जानकारी अनुसार इस वर्ष जनवरी माह में ग्राम पंचायतों द्वारा इन उपकरणों की खरीद के प्रस्ताव पारित कर खंड विकास अधिकारी को भेजे गए थे। पंचायतों की का तर्क था कि ग्राम पंचायतों में सीसीटीवी व वायरलेस स्पीकर सिस्टम की आवश्यकता है।
कोई ग्राम पंचायत कार्यालयों में क्लोज सर्किट कैमरे,एलईडी टीवी व स्पीकर सिस्टम स्थापित कर गया है लेकिन पंचायत प्रधान व सचिव आम जनता को कोई यह बताने को तैयार नहीं कि यह महंगे उपकरण उनकी जानकारी के बिना किसने और कैसे लगाए हैं। परंतु हैरानी की बात यह है कि पंचायत सचिवों के मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा । ऐसा लगता है मानो वे सब कुछ जानते हों परंतु किसी बड़े अधिकारी के दबाव में वे खामोश रहने को मजबूर हों।
स्थानीय पंचायत प्रधानों से बातचीत करने पर अधिकतर प्रधान इस मामले पर कहने से बचते नजर आए हैं हालांकि पंचायत प्रधान संघ अध्यक्ष श्याम ठाकुर ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके पंचायत घर में यह उपकरण स्थापित हो गए हैं परंतु उनकी ग्राम पंचायत ने इन उपकरणों की खरीद नहीं की है। उनका कहना था कि न ही वे इनकी खरीद प्रक्रिया से अवगत हैं और न ही वे इसके लिए किसी प्रकार का भुगतान करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि प्रधान संग ने यह निर्णय लिया है कि पंचायत कार्यालय में स्थापित इन उपकरणों के मुद्दे को लेकर वे शीघ्र बैठक कर महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे।
पंचायतों में इन उपकरणों की खरीद के लिए कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है जिससे पंचायत वित्तीय पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है क्योंकि इन उपकरणों के दाम, गारंटी/वारंटी के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
उधर कुछ ग्राम पंचायतों ने बिना किसी निविदा प्रक्रिया के स्थापित इन उपकरणों की पेमेंट भी कर दी है। खंड विकास विबाग में हो इस इस प्रकार की अनियमिताओं पर प्रशासन व विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
जब इस विषय पर खंड विकास अधिकारी रमनवीर सिंह चौहान से बात की गई, तो उन्होंने भी इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर पंचायत घरों में सीसीटीवी व स्पीकर सिस्टम खरीद रही हैं, खंड विकास कार्यालय की ओर से इस खरीद के लिए कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
इस संदर्भ में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है अगर कोई शिकायत आएगी तो जांच की जाएगी।
पूरे मामले में क्षेत्र के लोगों ने हैरानी जताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम और अन्य सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, सरकारी धन से की जाने वाली खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धात्मक निविदा प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। बिना टेंडर प्रक्रिया के खरीद करना वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा करता है। लोगों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले में पारदर्शिता से जांच की जाए व दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
अब यह देखना शेष है कि जिन पंचायतों ने इन उपकरणों के लिए भुगतान किया है उन पर क्या कार्रवाई होती है व जिन पंचायतों ने भुगतान नहीं किया किया,उनकी पंचायतों में स्थापित इन ससी कैमरों, एलईडी टीवी व स्पीकर सिस्टम का भुगतान कौन करेगा ?