घोघड़, चम्बा 31 अगस्त : भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अपने चर्म पर है परंतु प्रबंधन स्तर की लापरवाहियों में कोई कमी नहीं आ रही ।कुछ मणिमहेश यात्री रास्ता भटक कर लिहल तो कुछ डल्ली व तियारी पहुंच रहे हैं।
मणिमहेश यात्रियों को सुगम रास्ता दर्शाने के लिए साईन बोर्ड़ों अभाव साफ दिख रहा है। चम्बा से भरमौर तक के 63 किमी सड़क मार्ग पर मणिमहेश यात्रियों के मार्गदर्शन के लिए आवश्यक स्थानों पर मणिमहेश मार्ग को इंगित करने वाले साईनबोर्ड न होने के कारण श्रद्धालु कई स्थानों पर भ्रमित होकर गलत रास्तों पर भटक रहे हैं। चम्बा से भरमौर की ओर बढ़ते हुए मणिमहेश यात्री सबसे पहले धरवाला के पास लिहल सड़क मार्ग की ओर बढ़ जाते हैं यह स्थान एनएच 154ए से बाई ओर एक लिहल घाटी को जोड़ता है जोकि रावी नदी पर पुल से होकर निकलता है। कई बार यात्रियों को लिहल में पहुंचने पर पता चलता है कि वे गलत मार्ग पर हैं।
इससे आगे दुनाली व ढकोग नामक स्थान पर भी एनएच 154ए के बाईं ओर को रावी नदी पर दो पुल बने हैं यात्रियों के साथ यहां भी यही समस्या आती है परंतु इन स्थानों पुल के पास ही भंडारा होने व लोगों की उपस्थिति के कारण उन्हें सीधे रास्ते पर चलते रहने का परामर्श दिया जाता है।परामर्श अनुसार सीधे चलते रहते हुए कुछ श्रद्धालु खड़ामुख नामक स्थान से भी सीधे होली घाटी की ओर जाने वाली सड़क पर बढ़ जाते हैं। अगर रास्ते में उन्हें किसी ने मणिमहेश मार्ग की सही जानकारी दे दी तो वे जल्द ही वहां से लौटकर सही दिया में बढ़ जाते हैं अन्यथा होली घाटी के डल्ली व तियारी नामक स्थानों बाईं ओर पर रावी नदी पर बने पुलों को पार करके मणिमहेश की तलाश में भटकते रहते है।
आखिर क्यों भटक रहे हैं मणिमहेश यात्री -ः
मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं में बहुत बड़ी संख्या पंजाब व हरियाणा राज्य के बाईक सवारों की होती जो पहली बार मणिमहेश यात्रा पर जा रहे होते हैं। घोघड़ ने उनसे बातचीत कर उनसे रास्ता भटकने के कारण की जानकारी ली तो उनका कहना था कि यात्रा के अनुभवी लोगों ने बताया था कि चम्बा से एक ही सड़क भरमौर को जाती है, बीच में बाईं ओर एक नदी पर बने पुल को पार करना होता है और भरमौर पहुंच जाते हैं।
इस बात को दिमाग में बिठाकर यात्री चम्बा से भरमौर जाते हुए सड़क पर बाईं ओर बने पुल पर नजर रखते हैं। इसलिए इस रास्ते पर बढ़ते हुए जब भी उन्हें बाईं ओर पुल दिखता है तो वे उस ओर बढ़ जाते हैं और रास्ता भटक जाते हैं। दिन की रोशनी में यह भटकाव कम होता है परंतु रात के समय कई यात्री लिहल, बतोट, डल्ली व होली की घाटियों में पहुंच जाते हैं।
खड़ामुख नामक स्थान पर भरमौर की ओर जाने वाले रास्ते को दर्शाने वाल साईन बोर्ड तो हैं परंतु इनका आकार छोटा, रंग धुंधला व ऐसे स्थानों पर स्थापित हैं जहां सामान्यतः श्रद्धालुओं की नजर नहीं जाती।
यात्रियों के रास्ता भटकने की सम्भावना वाले स्थानों ‘मणिहेश मार्ग’ इंगित करने वाले साईनबोर्ड स्पष्ट दृष्टिगोचर होने वाले स्थानों पर स्थापित किए जाने चाहिए । यहां जानना बी आवश्यक है कि मणिमहेश शब्द भरमौर शब्द से अधिक प्रसिद्ध शब्द बन चुका है इसलिए साईन बोर्डों पर मणिमहेश शब्द को स्थान व दूरी के प्रतीक में प्रयोग किया जाना चाहिए। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा के समक्ष इस समस्या को रखा गया है, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वे जल्द इस समस्या का समाधान कर लेंगे।