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घोघड़, चम्बा 25 जून : मृत्यु तो सबकी निश्चित है परंतु इसके समय का किसी को भान नहीं होता लेकिन कुछ बिरले लोग ऐसे भी होते हैं जो इसके संकेतों को समझ लेते हैं। ऐसा ही कुछ मामला जनजातीय क्षेत्र भरमौर में देखने को मिला है। यहां तैनात वनपरिक्षेत्र अधिकारी तपेंद्र सिंह नेगी आज सुबह अपने आवास पर मृत पाए गए हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार तपेंदर सिंह नेगी गत रात्रि भोजन के बाद अपने शयन कक्ष में चले गए थे। आज सुबह जब वे अपने शयन कक्ष से बाहर नहीं निकले तो उनके कार्यालय के कर्मचारी ने उनके शयनकक्ष में जाकर देखा तो मृत अवस्था में बिस्तर पर थे।
जिस पर विभागीय कर्मचारी उन्हें नागरिक अस्पताल भरमौर ले गए जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। तपेंदर सिंह नेगी विभाग द्वारा प्रदान सरकारी आवास में अकेले रह रहे थे।
खंड चिकित्सा अधिकारी शुभम भंडारी ने कहा कि वन मंडल अधिकारी भरमौर ने उन्हें वनपरिक्षेत्र अधिकारी के अचेत होने की सूचना दी थी। जांच करने पर वे मृत पाए गए । उन्होंने कहा कि तपेंद्र सिंग नेगी के शव की जांच से पता चला कि उनकी मृत्यु अस्पताल लाने से करीब आठ घंटे पूर्व हो चुकी थी। उनके स्वास्थ्य इतिहास से पता चल रहा है कि उन्हें ह्रदयघात हुआ होगा। चूंकि उनके परिजनों के पहुंचने के उपरांत शव का पस्टमार्टम किया जाना था इसलिए शव को क्षेत्रीय अस्पताल चम्बा भेज दिया गया है।

गौरतलब है कि तपेंद्र सिंह नेगी मूलत: किन्नौर जिला के निवासी थे जो अब मंडी जिला में बस गए थे। तपेंद्र सिंह नेगी धार्मिक विचारों वाले व मिलनसार स्वभाव के थे। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि घोघड़ के इस संवाददाता ने उनके साथ बैठकर कई बार बातचीत की है। वे भरमौर में तैनाती को अपना सौभाग्य बताते हुए कहते थे कि भगवान शिव के निवास स्थान के पास बैठकर सेवा करने का सुअवसर मिला है । वे प्रतिदिन चौरासी मंदिर में माथा टेकना नहीं भूलते थे। तपेंद्र नेगी बताते थे कि उनका आवास चौरासी मंदिर के सम्मुख है ऐसे में उनके प्राण भी यहां निकल जाएं तो सौभाग्य की बात होगी। बातों-बातों में वे भगवान शिव से जुड़ी बातों का उल्लेख करते थे । उनकी बातों व अकस्मात मृत्यु से लगता है वे अपनी मृत्यु के संकेतों को समझ रहे थे।

तपेंद्र सिंह नेगी पिछले करीब दो वर्ष से वे भरमौर मुख्यालय में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे। वे यहां इको टूरिज्म के माध्यम से वन भूमि को सौंदर्य प्रदान कर पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते थे।

यहां यह बताना भी आवश्यक है कि चौरासी मंदिर भरमौर के प्रवेश द्वार के सम्मुख स्थित वन परिक्षेत्र भरमौर का कार्यालय भारत के सबसे पुराने सरकारी कार्यालयों में से एक है जिसकी जानकारी  उन्होंने भरमौर वन परिक्षेत्र कार्यालय के 96 वर्ष पुराने रजिस्ट्र को दिखा कर  इस कार्यालय के इतिहास से लोगों को अवगत करवाया था।


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