घोघड़, चम्बा 07 जून : प्रदेश के महाविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए दाखिले आरम्भ हो गए हैं। विद्यार्थी 03 जून से 15 जुलाई की अवधि में ऑनलाईन माध्यम से महाविद्यालयों में दाखिला ले सकेंगे । राजकीय महाविद्यालय भरमौर में भी दाखिला प्रक्रिया आरम्भ हो गई है। इस समय इस महाविद्यालय में 276 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । एक ओर महाविद्यालय से स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा देकर महाविद्यालय से बाहर अपने भविष्य संवारने के लिए निकल गए हैं तो वहीं दूसरी ओर बाहरवीं कक्षा उत्तीर्ण कर विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय में दाखिला लेने की तैयारियां कर रहे हैं।
नए शैक्षणिक सत्र व नई कक्षा, नया व उन्मुक्त परिवेश की आशा मन में लिए विद्यार्थी अपने लिए उपयुक्त महाविद्यालय का चयन कर रहे हैं। महाविद्यालय के चयन में प्रमुख रूप से आचार्यों की उपलब्धता, संस्थान में पुस्तकालय, खेल मैदान, शिक्षा का माहौैल को प्राथमिकता दी जा रही है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यतः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए महाविद्यालय की शिक्षा आज भी इतनी आसान नहीं है। वे उपर्युक्त उपलब्धताओं में से घर के नजदीकी संस्थान को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि वे अपने पास उपलब्ध सामर्थ्य से बच्चों की शिक्षा किसी प्रकार पूरी करवा सकें।
बाहरवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात विद्यार्थियों ने आर्टस, कॉमर्स व साईंस में से किसी एक संकाय में पढ़ाई के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार कर लिया होता है। परंतु संस्थान में शिक्षा के लिए आवश्यक उपर्युक्त उपलब्धताओं के अभाव के बावजूद बहुत से विद्यार्थी अपने नजदीकी संस्थान को चुनने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के मामले मे जनजातीय क्षेत्र भरमौर स्थित राजकीय महाविद्यालय भी अपनी छाप छोड़ रहा है। वर्ष 2005 से संचालित जनजातीय क्षेत्र भरमौर के राजकीय महाविद्यालय से अब तक एक हजार से अधिक विद्यार्थी स्नातक की पढ़ाई कर चुके हैं । इस संस्थान में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने वाले तीन विद्यार्थी इसी महाविद्यालय में बतौर सह आचार्य शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस समय इस संस्थान के भवन का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। लोनिवि इस भवन को इस शैक्षणिक सत्र में महाविद्यालय को सौंपने का प्रयास कर रहा है।
स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा देने वाली राजेश्वरी ठाकुर कहती हैं कि संस्थान के पास भले ही अपना भवन नहीं था परंतु अध्यापकों ने जिस भाव से शिक्षा प्रदान की उससे महाविद्यालय भवन की कमी का आभास नहीं हुआ। उन्होंने तो यहां तक कहा कि जिस प्रकार स्कूल जीवन में महाविद्यालयी शिक्षा को लेकर अध्यापकों व विद्यार्थियों की लापरवाह छवि गढ़ी जाती है वह भ्रामक है । इस महाविद्यालय में उच्च विद्यालयों की भान्ति ही गुरू-शिष्य की मर्यादा व सीमाओं को लांघते किसी को नहीं देखा।
सोनिया शर्मा बताती हैं कि राजकीय महाविद्यालय भरमौर में शिक्षा के लिए बेहतरीन माहौल है। अध्यापक स्कूलों की भांति विद्यार्थियों के मन में उठ रहे प्रश्नों के समाधान करते हैं। वे बताती हैं कि इस महाविद्यालय में तीन वर्ष की शिक्षा कब पूरी हो गई, पता ही नहीं चला। वे बताती हैं कि संस्थान के अध्यापक व गैर शिक्षक वर्ग से अभिभावकों की तरह सहयोग मिला है।
पंकज अत्री बताते हैं कि महाविद्यालय का अपना भवन न होने का मलाल सारी उम्र रहेगा इसके अतिरिक्त यहां ‘ऑल इज़ वैल’ रहा । संस्थान में शिक्षा व विद्यार्थियोंं के उत्थान से सम्बंधित हर गतिविधियों के लिए महाविद्यालय स्टाफ का भरपूर सहयोग मिल जाता। बाहरवीं कक्षा पास करने पर कुछ साथी रैगिंग के बारे में बताते थे कि कॉलेज में वरिष्ठ कक्षाओं के विद्यार्थी नए विद्यार्थियों की रैगिंग करके उन्हें परेशान करते हैं। परंतु जब वे दाखिला लेने भरमौर महाविद्यालय कैंपस में पहुंचे तो यहां वरिष्ठ कक्षाओं के विद्यार्थियों ने दाखिले में मदद के लिए बकायदा कांउंटर लगाए हुए थे और वे मेरे दस्तावेज लेकर विभिन्न काउंटर पर जा रहे थे। उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय शिक्षा के लिए समर्पित है।
महाविद्यालय में तीन वर्ष तक छात्र नेता की भूमिका निभाने वाले विवेक चाढ़क आज स्नातक की परीक्षा के बाद भविष्य की जिम्मेदारियों को उठाने की तैयारियां कर रहे हैं परंतु वे इस सबका श्रेय भरमौर महाविद्यालय, उसके शिक्षकों व छात्र साथियों को देते हैं। विकास ठाकुर बताते हैं कि स्कूल समय तक वे बेहद शर्मीले स्वभाव के थे परंतु “इस महाविद्यालय में शिक्षकों ने मेरी किताबी शिक्षा के अलावा व्यक्तित्व विकास पर भी ध्यान दिया। अध्यापकों के प्रोत्साहन के फलस्वरूप मैं अपने विचारों को विभिन्न मंचों पर रखने के भय से मुक्त हो गया”। अन्य विद्यर्थियों की भांति विवेक चाढ़क को भी महाविद्यालय का अपना भवन न मिलने का मलाल रहा है।
संस्थान के प्राचार्य हेमन्त पाल बताते हैं कि वर्ष 2005 से संचालित इस संस्थान में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा रहा है। संस्थान के पास अभी अपना भवन नहीं है परंतु इसी शैक्षणिक सत्र में महाविद्यालय को अपना नया भवन भी उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष पहली बार महाविद्यालय में विज्ञान संकाय (नॉन मैडिकल) की कक्षाएं भी आरम्भ की जा रही हैं। इस महाविद्यालय में 80 प्रतिशत संख्या बालिकाओं की है जो यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि इस संस्थान में लड़कियों की शिक्षा व सुरक्षा को गम्भीरता से लिया जाता है। प्राचार्य बताते हैं कि संस्थान में दो पदों के अलावा सभी विषयों के अध्यापक मौजूद है अगर किसी कारणवश किसी विषय का अध्यापक उपलब्ध न हो तो उसकी वैकल्पिक व्यवस्था तुरंत की जाती है। संस्थान के विद्यार्थियों की खेल व सास्कृतिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त मैदान व परिसर उपलब्ध है।
रैगिंग व यौन उत्पीड़न जैसी सम्भावनाओं को रोकने के लिए महाविद्यालय में विशेष कमेटियां गठित की गई हैं जो ऐसी गतिविधियों पर लगातार नजर रखती हैं।उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में तैनात शिक्षक बेहद कुशल व अनुभवी हैं। जो विद्यर्थियों को पाठ्यक्रम शिक्षा के अतिरिक्त भविष्य निर्माण से सम्बंधित विषयों पर भी जानकारी व मदद विद्यार्थियों को प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि https://gcbharmour.highaltalteducation.in/ पर लॉग इन करके ऑनलाईन एडमिशन करवा सकते हैं। दाखिला से सम्बंधित जानकारी के लिए संस्थान के मोबाईल नम्बर 9418122414, 01895225280 पर कॉल करके व इसके अलावा महाविद्यालय की वैबसाईट http://govtcollegebharmour.edu.in/ से प्राप्त की जा सकती है।
प्राचार्य ने कहा कि विद्यार्थी लगातार संस्थान में जानकारी प्राप्त करने के लिए पहुंच रहे हैं। जिसमें कुछ दाखिले भी ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए जल्द कक्षाएं भी आरम्भ कर दी जाएंगी इसलिए विद्यार्थी जल्दी दाखिला करवा लें।