घोघड़, चम्बा , 03 मई : अभिषेक ठाकुर ने आईआईटी बॉम्बे से प्रवाह-उत्पन्न वाइब्रेशन पर ऊर्जा अध्ययन में अपने डॉक्टरेट प्राप्त किया है। अभिषेक ठाकुर की डॉ अभिषेक बनने की शैक्षिक यात्रा जनजातीय क्षेत्र भरमौर के गाँव मलकौता में एक प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई, जिसके बाद उन्होंने जेएनवी सरोल चंबा में अपनी माध्यमिक तक की शिक्षा पूरी की। शिक्षा के दौरान नई-नई तकनीकों खोजबीन में लगे रहने का नतीजा यह हुआ कि उन्हें नवोदय विद्यालय चंडीगढ़ में प्रतियोगी परीक्षाओं के मार्गदर्शन के लिए चुना गया, जहां उन्होंने अपनी 12वीं कक्षा पूरी की। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद, उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में अपने एम.टेक की शिक्षा पूरी की, जहां उनका अनुसंधान में मजबूत रूचि विकसित हुई। यहीं से उन्होंने उन्होंने तापक और तरल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट उपाधि की राह पर कदम बढ़ा दिए।
पोर्टेबल उर्जा संचयन ऐसी तकनीक है जिसमें ऊर्जा को लघु अथवा संगठित उपकरणों को माध्यम से संचित किया जा सकता है। यह उपकरण सामान्यतः बैटरी, सोलर पैनल, विंड टरबाईन व अन्य तरीकों से संचित करने के लिए उपयोग किये जाते हैं।
- पोर्टेबल (Portable): इसका मतलब है कि यह उपकरण आसानी से ले जाया जा सकता है और यह किसी भी स्थान पर उपयोग के लिए उपलब्ध होता है।
- ऊर्जा संचयन (Energy Harvesting): यह उपकरण वातावरण से ऊर्जा को अद्यतित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है, जैसे कि सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा, वायु ऊर्जा, और अन्य स्रोत।
- इसका उपयोग विभिन्न कार्यों मसलन मोबाइल फोन,घड़ियों, वैज्ञानिक उपकरणों और अन्य इलैक्ट्रेनिक उपकरणों के लिए उर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
डॉ अभिषेक ठाकुर बताते हैं कि अभी यह तकनीक काफी मंहगी है और इसे सस्ता व और कारगर बनाने की प्रक्रिया पर कार्य किया जा रहा है। उनव्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों,जहां झरनों व तेज हवाओं को इस तकनीक से ऊर्जा में परिवर्तित करके किसानों व सेना के लिए बड़ी मदद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि वे आगामी कुछ माह पोस्ट डॉक्टेरेट का अध्ययन करने के बाद एनआईटी अथवा आईआईटी में शोध कार्य में शामिल होने का प्रयास करेंगे।
अपनी इस उपलब्धि के लिए उन्होंने किस हद तक अनुशासन को अपनाया के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जिस समय वे स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे उसी दौरान देश में इन्टरनैट का उपयोग भी तेजी से फैल रहा था सोशल मीडिया हर घर से आगे बढ़ कर हर व्यक्ति व बच्चे तक पहुंच रहा था। चूंकि वे उस दौरान जवाहर नवोदय के आवासीय विद्यालय में अध्ययनरत थे इसलिए वे सोशल मीडिया से भी अछूते रहे इसीके फलस्वरूप उनका ध्यान पढ़ाई से नहीं भटका।
डॉ अभिषेक बताते हैं कि इंटरनेट दोधारी तलवार की तरह है जिसका सदुपयोग करने न आए तो यह स्वयं को भी हानि पहुंचाता है । उन्होंने विद्यालयों व महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों से अपील की कि वे इन्टरनैट का उपयोग मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि अपनी शिक्षा सम्बंधी समस्याओं के हल के लिए करें ।
हिमाचल प्रदेश के एक गाँव से पढ़ाई करके भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, आईआईटी बॉम्बे में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सफर करने वाले अभिषेक ने इस उपलब्धि के लिए के लिए अपने पिता देश राज ठाकुर, माता सुनीता देवी, दादा धर्म चंद और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है। वे चार भाई बहनों में बड़े हैं। उन्होंने कहा कि नवोदय विद्यालय में बच्चों की सृजनात्मकता पर नजरी रखी जाती है और उन्हें उसी क्षेत्र में अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसलिए वे नवोदय विद्यालय के अध्यापकों को भी इस उपलब्धि का श्रेय देते हैं। सदस्यों को गर्वित किया है। वह वास्तव में भरमौर के आकांक्षी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जिन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
डॉ. अभिषेक को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए स्थानीय विधायक एवं प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ जनक राज ने भी उन्हें बधाई देते हुए उनके भविष्य की कामयाबी के लिए शुभकामनाएँ दी हैं।