घोघड़, शिमला (रामपुर बुशहर), 3 नवम्बर 2025 : रामपुर बुशहर में आयोजित तीन दिवसीय अश्व प्रदर्शनी सोमवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुई। यह प्रदर्शनी 1 से 3 नवम्बर तक आयोजित की गई थी और आगामी अंतरराष्ट्रीय लवी मेले–2025 की पूर्व तैयारियों का हिस्सा रही। गौरतलब है कि ऐतिहासिक लवी मेला इस वर्ष 11 से 14 नवम्बर तक पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
समापन समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य 7वां वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं रामपुर के विधायक नन्द लाल ने की। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी सत्या नन्द लाल भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।
अश्व प्रदर्शनी ने दिखाई हिमाचल की पशुपालन परंपरा की झलक
विधायक नन्द लाल ने अपने संबोधन में कहा कि लवी मेला हिमाचल प्रदेश की व्यापारिक, सांस्कृतिक और पशुपालन विरासत का जीता-जागता प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अश्व प्रदर्शनी इस मेले का अभिन्न अंग है, जो न केवल उत्कृष्ट नस्लों के संरक्षण और प्रजनन को बढ़ावा देती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाती है।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे पारंपरिक व्यवसायों को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ अपनाएं ताकि आत्मनिर्भरता की दिशा में नए अवसर पैदा हों।
282 अश्वों की भव्य प्रदर्शनी, 150 पशुओं की बिक्री भी हुई
पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा लवी मेला आयोजन समिति के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में कुल 282 अश्वों ने भाग लिया। इनमें स्पीति नस्ल के 121, स्पीति क्रॉस ब्रीड के 57, अन्य नस्लों के 46 तथा 29 खच्चर जोड़े (कुल 58 खच्चर) शामिल रहे।
प्रदर्शनी के दौरान लगभग 150 पशुओं की बिक्री भी हुई, जिससे पशुपालकों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ।
घुड़दौड़ और गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता बनी आकर्षण का केंद्र
समापन दिवस पर आयोजित गुब्बारा फोड़, 400 मीटर तथा 800 मीटर घुड़दौड़ प्रतियोगिता ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इन प्रतियोगिताओं में प्रतिभागी धर्म पाल और हैप्पी ने क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान हासिल किया।
विजेताओं को किया गया सम्मानित
समारोह में विधायक नन्द लाल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पशुपालकों, प्रशिक्षकों एवं प्रतिभागियों को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन हिमाचल की ग्रामीण पहचान को जीवंत रखते हैं और पारंपरिक पशुधन संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम बनते हैं।
गणमान्य लोगों की रही उपस्थिति
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक संजीव धीमान, एसडीएम हर्ष अमरेन्द्र सिंह, उपनिदेशक डॉ. नीरज मोहन, डॉ. अनिल, जिला परिषद सदस्य बिमला शर्मा, एडवोकेट डी.डी. कश्यप, राजेश गुप्ता, लवी मेला आयोजन समिति के सदस्य, पंचायत प्रतिनिधि, पशुपालक और बड़ी संख्या में दर्शक व पर्यटक उपस्थित रहे।
ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक
रामपुर बुशहर की अश्व प्रदर्शनी का इतिहास सदियों पुरानी लवी मेला परंपरा से जुड़ा है। यह मेला उस ऐतिहासिक व्यापारिक संधि की याद में मनाया जाता है, जो रामपुर बुशहर राज्य और तिब्बत के बीच हुई थी। उस दौर में घोड़े, ऊन, नमक और अन्य वस्तुएं व्यापार का प्रमुख हिस्सा थीं।
इसी परंपरा के संरक्षण के उद्देश्य से अश्व प्रदर्शनी की शुरुआत हुई थी, जो अब चमुर्थी नस्ल के अश्वों के प्रदर्शन और प्रजनन प्रोत्साहन का मंच बन चुकी है।

