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घोघड़,नई दिल्ली, 12 दिसम्बर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारत की जनगणना 2027 कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस परियोजना पर 11,718.24 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह जनगणना कई मायनों में विशेष होगी, क्योंकि पहली बार इसे पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित किया जाएगा।

जनगणना 2027, भारत की 16वीं जनगणना तथा स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी।
यह देश की जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक व आवासीय स्थितियों पर विश्वसनीय व विस्तृत डेटा उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा स्रोत है। जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियमावली 1990 इसके संचालन का विधिक ढांचा तय करते हैं।

जनगणना 2027 के चरण – भारत की जनगणना विश्व की सबसे बड़ी सांख्यिकीय और प्रशासनिक कवायद मानी जाती है। इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा—

  1. हाउसलिस्टिंग एवं हाउसिंग जनगणना
    अप्रैल से सितंबर 2026

  2. जनसंख्या गणना (पीई)
    फरवरी 2027

    • हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के बर्फ प्रभावित गैर-समकालिक हिस्सों में यह कार्य सितंबर 2026 में किया जाएगा।

इस पूरे अभियान में करीब 30 लाख प्रक्षेत्र कर्मचारी शामिल होंगे।

जनगणना 2027 में कई बड़े डिजिटल नवाचार शामिल किए गए हैं—

  • मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा संग्रह, एंड्रॉइड व iOS दोनों पर उपलब्ध।

  • सेंसस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) नामक केंद्रीकृत पोर्टल से रियल-टाइम निगरानी।

  • एचएलबी क्रिएटर वेब मैप एप्लिकेशन की मदद से अधिकारियों द्वारा हाउस-लिस्टिंग ब्लॉक की सटीक मैपिंग।

  • जनता को स्वयं गणना (Self Enumeration) का विकल्प।

  • सख़्त डिजिटल सुरक्षा मानक लागू।

  • व्यापक जन-जागरूकता व जनभागीदारी अभियान

  • जाति-आधारित डेटा संग्रह को भी पीई चरण में शामिल करने की मंजूरी।

  • गणनाकार अधिकतर राज्य सरकार द्वारा तैनात सरकारी शिक्षक होंगे, जो अपनी ड्यूटी के साथ जनगणना का कार्य भी करेंगे।

  • उप-जिला, जिला और राज्य स्तर पर अतिरिक्त अधिकारियों की नियुक्ति होगी।

  • सभी जनगणना कर्मियों को विशेष मानदेय प्रदान किया जाएगा।

डेटा के उपयोग व लाभ

  • डिजिटल जनगणना से बेहतर गुणवत्ता वाला डेटा उपलब्ध होगा।

  • मंत्रालयों को Census-as-a-Service (CaaS) के रूप में मशीन-रीडेबल व कार्रवाई योग्य डेटा दिया जाएगा।

  • सभी डेटा गांव/वार्ड स्तर तक उपलब्ध कराए जाएंगे।

  • नीति निर्माण में अधिक सटीकता और तेज़ी आएगी।

  • इस अभियान में लगभग 18,600 तकनीकी श्रमबल को 550 दिनों तक कार्य में लगाया जाएगा।

  • कुल 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा।

  • डिजिटल डेटा हैंडलिंग से जुड़े कार्यों से कर्मियों के कौशल में वृद्धि होगी, जिससे भविष्य में रोजगार अवसर बढ़ेंगे।


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