Ghoghad.com

घोघड़,भरमौर, जुलाई 2025 : मणिमहेश यात्रा के दौरान पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन चंबा ने एक अहम कदम उठाया है। आगामी 1 अगस्त से 31 अगस्त, 2025 तक मणिमहेश यात्रा मार्ग पर भरमौर से डल झील तक PET बोतलें, मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक (MLP) और टेट्रा पैक जैसे गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पादों पर सख्ती से निगरानी की जाएगी।

इस योजना को लागू करने के लिए उपायुक्त चम्बा ने मुकेश रेपसवाल द्वारा सूचना जारी कर दी है जिला प्रशासन ने Rapitude Technologies Private Limited और Recykal कंपनी के सहयोग से Healing Himalayas Foundation को अधिकृत किया है। यह निर्णय हिमाचल प्रदेश नॉन-बायोडिग्रेडेबल गारबेज (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 के अंतर्गत लिया गया है।

हीलिंग हिमालय फाउंडेशन भरमौर से मणिमहेश तक पैकड फूड बेचने वाले सभी दुकानदारों को यह क्यूआर कोड देगी । दुकानदार इन क्यूआर कोड को सभी पैक्ड सामग्री पर चिपका कर ग्राहक को बेचेंगे। प्रत्येक क्यूआर कोड का निर्धारित मूल्य दुकानदार द्वारा हीलिंग हिमालय को चुकाया जाएगा । इसके अगले चरण में क्यूआर लगी सामग्री जब ग्राहक तक पहुंचेगी तो दुकानदार सामग्री के मूल्य के साथ-साथ ग्राहक से क्यूआर कोड की कीमत भी वसूल कर सकेगा। अगला चरण उपभोक्ता की जिम्मेदारी का है कि वह खरीदे गए पैक्ड फूड/पेय पदार्थ के खाली रैपर/बोतल को हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के क्लेक्शन केंद्र पर लौटाकर क्यूआर कोड के पैसे वापिस ले सकते हैं।

सभी  निर्धारित अवधि के दौरान PET बोतल, MLP और टेट्रा पैक जैसे खाद्य पैकेजिंग उत्पादों को अब बिना QR कोड के बेचना और खरीदना प्रतिबंधित होगा।

  • व्यापारी, ढाबा, होटल, रेस्टोरेंट, स्टॉल आदि इकाइयों को इन उत्पादों को बेचने से पहले उन पर QR कोड लगवाना होगा।

  • QR कोड के माध्यम से यह ट्रैक किया जाएगा कि कौन-सा उत्पाद किस इकाई द्वारा बेचा गया है और वह कहां गया है।

  • इस व्यवस्था से इन उत्पादों के पुनर्चक्रण (recycling) को सुनिश्चित किया जाएगा।

Healing Himalayas Foundation इन उत्पादों को न्यूनतम मूल्य पर पुनः एकत्र करेगी और इनके QR कोड स्कैन करके संबंधित इकाई से इन्हें वापस लेगी। यह व्यवस्था यात्रा मार्ग पर सफाई और प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण सुनिश्चित करेगी।

क्यों जरूरी है यह कदम?

हर वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा डल झील और उसके आसपास के क्षेत्रों में जमा हो जाता है, जिससे न केवल पर्यावरण को हानि होती है बल्कि धार्मिक स्थल की पवित्रता भी प्रभावित होती है। इस बार प्रशासन की पहल है कि “मणिमहेश यात्रा 2025” को प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल बनाया जाए।

प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यात्रा मार्ग पर यदि कोई व्यापारी या विक्रेता बिना QR कोड वाले उत्पाद का विक्रय करता पाया गया, तो उसके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन का यह निर्णय मणिमहेश यात्रा मार्ग व पड़ावों को कितना साफ व स्वच्छ बनाता है यह तो यात्रा के बाद दिख जाएगा। परंतु क्यूआर कोड लगे खाली रैपर/बोतल लौटाने का वक्त कितने यात्रियों के पास होगा यह एक गम्भीर प्रश्न है। यात्रा की भीड़, थकान, समय पर बस पकड़ने, मौसम की खराबी जैसी समस्याओं से घिरे यात्रियों के पास क्या इतना समय होगा कि क्यूआर कोड के पांच/सात (अनुमानित राशि) रुपए प्राप्त करने के लिए निर्धारित कैम्प पर जाएंगे ?


Ghoghad.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page