घोघड़, चम्बा, 07 नवम्बर : जनजातीय क्षेत्र में शिक्षा का स्तर वैसे ही गिरा हुआ है, अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजि स्कूलों में पढ़ाना चाहते, वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में इसलिए नहीं पढ़ाते क्योंकि उनका मानना है कि सरकारी स्कूल के अध्यापक बच्चों की पढ़ाई को गम्भीरता से नहीं लेते। इसलिए वे स्वयं अपने बच्चों को निजि स्कूलों में पढ़ाते हैं ।
सरकारी स्कूलों से कई बार अध्यापकों नदारद रहने, विद्यार्थियों से पढ़ाई के अलावा अन्य कार्य करवाने जैसी शिकायतें आती रहती हैं,अभिभावकों के यह कथन इसलिए तर्कसंगत लगते है क्योंकि जनजातीय क्षेत्र भरमौर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुठार(बड़ग्रां) के अध्यापक के शराब के नशे में धुत रहने के मामला फिर सामने आया है। आज दोपहर इस विद्यालय से एक वीडियो सामने आया है जिसमें बच्चे स्कूल के बरामदे पर अध्यापक के आने का इंतजार कर रहे हैं और विद्यालय के कमरों को ताले लगे हैं। वीडियो में अभिभावक बच्चों से अध्यापक के बारे में पूछ रहे हैं तो भगवान का रूप माने जाने वाले बच्चे सीधे बता देते हैं कि अध्यापक ने ‘दारू’ पी हुई है। यही नहीं वे यह भी कहते हैं कि गत दिवस वे शराब पीकर स्कूल आए थे।
घटना से अभिभावकों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि प्रशासन व सरकार इस नशेड़ी अध्यापक को तुरंत इस विद्यालय से हटाए। अभिभावकों को इस बात का अधिक दुख है कि उक्त अध्यापक के शराब पीकर स्कूल आने व कई बार स्कूल से नदारद रहने के बारे में भरमौर प्रशासन व खंड शिक्षा विभाग को शिकायत भी की गई परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जांच के नाम पर खानापूर्ति कर कुछ दिन के लिए आरोपित अध्यापक को वहां से अन्य विद्यालय भेज दिया जैसे मामला ठंडा पड़ा उसे फिर से कुठार विद्यालय में तैनात कर दिया। न तो सरकार व न प्रशासन उक्त अध्यापक के विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई करने को तैयार है।
अभिभावकों का यह आरोप भी है कि उक्त अध्यापक को कुछ उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है जिस कारण उस पर कार्रवाई नहीं की जाती जबकि उसके कृत्य के पुख्ता सबूत हैं।
गौरतलब है कि स्कूल के समय पर उक्त अध्यापक के शराब के नशे में धुत रास्ते में पड़े होने का वीडियो भी सामने आया था जिसके बाद उक्त स्कूल की प्रबंधन समिति ने विद्यालय में ताला जड़कर प्रशासन से आरोपित अध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी परंतु शिक्षा विभाग ने कुछ कागजी खानापूर्ति करके मामले में किसी को कोई सजा नहीं दिलवाई।
विडम्बना देखिए कुठार गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए कहीं नजदीक कोई प्राईवेट स्कूल भी नहीं है जहां वे महंगी ही सही,शिक्ष तो दिला पाएं। दूसरे शब्दों में कहें तो कुठार गांव के बच्चों को स्तरहीन शिक्षा के लिए मजबूर किया जा रहा है। जहां वे शराब के नशे में पढ़ाने वाले अध्यापक से अपने चरित्र ह्रास के लिए भी प्रेरित हो सकते हैं।
इस पूरे मामले में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर राणा ने कहा कि उक्त मामले का वीडियो उन्होंने देखा है। जिस पर खंड प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी को कल 08 नवम्बर को प्राथमिक स्कूल कुठार जाकर मामले की पड़ताल कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।