घोघड़, शिमला, 20 जून 2025 : कृषि एवं पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में आज कृषि निदेशालय बालूगंज, शिमला में कृषि विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रदेशभर के कृषि अधिकारियों ने भाग लिया और विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों तथा नवीन पहलों की प्रगति की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को सीधे लाभ देने वाली योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती, आधुनिक तकनीकों के प्रयोग और किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि योजनाएं केवल कागजों में नहीं, जमीनी स्तर पर दिखनी चाहिए।
हिम कृषि योजना और GIS तकनीक का एकीकरण
बैठक में हिमाचल प्रदेश में चल रही हिम कृषि योजना की समीक्षा करते हुए मंत्री ने कहा कि भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) तकनीक का उपयोग क्लस्टर मैपिंग के लिए किया जा रहा है। इससे योजना की प्रभावशीलता और पारदर्शिता बढ़ेगी। योजना के लिए अब तक ₹5.47 करोड़ की राशि आवंटित की जा चुकी है। GIS तकनीक के माध्यम से राज्य के पांच जिलों में पायलट परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की गई हैं।
पांच नए मॉडल फार्म होंगे विकसित
सत्र 2025-26 के लिए पांच नए मॉडल फार्मों का चयन किया गया है। इनमें एसएमएफ जोगिंदर नगर, एसएमएफ झुलर शाहपुर (कांगड़ा), पीडीएस डलंग (लाहौल-स्पीति), एसएमएफ ठुल्लेल (चंबा) और एसएमएफ मंझौली नालागढ़ (सोलन) शामिल हैं। इससे पूर्व 2024-25 में तीन फार्मों को मॉडल फार्म के रूप में विकसित किया गया था।
बीज आलू उत्पादन की पुनः शुरुआत
कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2018 से बंद बीज आलू उत्पादन को खरीफ 2025 से दोबारा शुरू किया जा रहा है। साथ ही, चरणबद्ध तरीके से सभी सरकारी खेतों में 20-30 प्रतिशत क्षेत्रफल को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जा रहा है।
प्राकृतिक खेती: बढ़ता दायरा, बढ़ती आमदनी
प्रदेश में अब तक 48,685 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा चुका है, जिनमें 25,784 महिलाएं शामिल हैं। वर्ष 2024-25 में मक्की, गेहूं और हल्दी की खरीद किसानों से उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई, जिसमें किसानों को सीधा ₹2.62 करोड़ का डीबीटी लाभ मिला।
प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की का एमएसपी ₹30 से बढ़ाकर ₹40 व गेहूं का ₹40 से बढ़ाकर ₹60 प्रति किलोग्राम किया गया है। ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी के रूप में किसानों को ₹2 प्रति किलोग्राम की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है। प्रत्येक किसान परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदा जा रहा है।
सौर सिंचाई और जल प्रबंधन योजनाएं
वित्त वर्ष 2025-26 में सौर सिंचाई योजना के लिए ₹2 करोड़ का बजट तय किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के 26 उपमंडलों में 127 परियोजनाओं पर कार्य जारी है, जिससे 128 हेक्टेयर भूमि लाभान्वित होगी। इसके अलावा, “जल से कृषि को बल” योजना के तहत भी ₹1 करोड़ के बजट से 64 परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जो 125 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा से जोड़ेगी।
जायका परियोजना के तहत 154 करोड़ होंगे खर्च
जायका परियोजना फेज-2 के अंतर्गत वित्त वर्ष 2025-26 में कुल ₹154 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। यह राशि बुनियादी ढांचा विकास, बाजार विस्तार, संस्थागत सुदृढ़ीकरण और किसानों को तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराने पर केंद्रित होगी।
पांगी बना पूर्ण प्राकृतिक खेती उपमंडल
सरकार ने पांगी को हिमाचल का पहला पूर्ण प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया है। यहां उत्पादित जौ के लिए किसानों को ₹60 प्रति किलो का एमएसपी तय किया गया है। अब तक 168 किसानों से 45 मीट्रिक टन जौ की खरीद की जाएगी। यह मॉडल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहा है।
कृषि बजट और योजनाएं
राज्य में लगभग 14 योजनाओं के तहत ₹117 करोड़, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ₹78 करोड़ और कृषि उन्नति योजना के तहत ₹103 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
बैठक में कृषि सचिव सी पाल रासु ने कृषि मंत्री का स्वागत किया और निर्देशों के अनुपालन का भरोसा दिलाया। निदेशक डॉ. जीत सिंह ने केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी साझा की। अतिरिक्त निदेशक डॉ. रविंदर सिंह जसरोटिया, परियोजना निदेशक जायका डॉ. सुनील चौहान सहित कई वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद रहे।