घोघड़, नई दिल्ली 08 नवम्बर : भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के अधीन विधिक माप विज्ञान विभाग, तौल और माप उपकरणों की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कार्यरत है, जिससे उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहें।
मानव और पशु शरीर के तापमान को मापने वाले क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर की सटीकता और मानकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ नए मसौदा नियम तैयार करके प्रस्तावित किए गए हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य मौजूदा प्रावधानों को संशोधित करते हुए इन उपकरणों की विश्वसनीयता को और अधिक सुनिश्चित करना है।
यह थर्मामीटर बुखार और हाइपोथर्मिया जैसी स्थितियों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभाग द्वारा गठित समिति ने इन मसौदा नियमों को तैयार कर 29 नवंबर 2024 को सार्वजनिक परामर्श के लिए विभाग की वेबसाइट पर जारी किया गया है। आम जनता और हितधारकों को 30 दिसंबर 2024 तक अपने सुझाव और टिप्पणियाँ देने के लिए आमंत्रित किया गया है।
https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Draft
मसौदा नियम – क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर के लिए सुझाव प्राप्त होने के बाद इन नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसके बाद क्लिनिकल इलेक्ट्रिकल थर्मामीटर की सटीकता और मानकों को सुनिश्चित किया जाएगा। प्रस्तावित नियमों में इन उपकरणों के सत्यापन और प्रमाणीकरण को अनिवार्य किया गया है, ताकि यह तय हो सके कि वे निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। इससे मानव और पशु स्वास्थ्य के साथ-साथ उपभोक्ता सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। इन थर्मामीटरों का उपयोग घरों, अस्पतालों और विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होता है।
इन प्रस्तावित प्रावधानों का उद्देश्य माप के परिणामों पर विश्वास को बढ़ाना है, ताकि निदान और उपचार के निर्णय सही और भरोसेमंद डेटा पर आधारित हों। यह पहल तापमान माप में एकरूपता लाने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।