घोघड़, चम्बा, 26 मई 2025 : भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव प्रणाली में व्यापक सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 18 नवाचारों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन नवाचारों का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, समावेशी और प्रभावी बनाना है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नंदिता गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी कि आयोग ने छह प्रमुख क्षेत्रों—मतदाता, राजनीतिक दल, प्रक्रियागत सुधार, कानूनी प्रावधान, चुनाव कार्मिक, और प्रशासनिक सुधार—में इन पहलों को लागू किया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी मुकेश रेपसवाल ने बताया कि मतदाताओं की सुविधा और भीड़ नियंत्रण के लिए अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं की सीमा निर्धारित की गई है। बहुमंजिला इमारतों और घनी बस्तियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया है।
मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए, अब मृतकों के नाम हटाने हेतु ‘रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया’ के डेटाबेस का प्रयोग किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, सभी निर्वाचन सेवाओं को एकीकृत करने के लिए एक नया DASHBOARD भी लॉन्च किया जाएगा, जिससे मतदाता और चुनाव अधिकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
प्रशिक्षण और पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए 28 प्रमुख हितधारकों—जैसे मतदाता, राजनीतिक दल, प्रत्याशी और चुनाव अधिकारी—के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयोग के निर्देशों पर आधारित प्रशिक्षण सामग्री तैयार की जा रही है।
बी.एल.ओ. (बूथ लेवल ऑफिसर) को अब मानक फोटो पहचान पत्र दिए जाएंगे ताकि वे मतदाताओं के बीच अधिक विश्वसनीयता और पहुंच सुनिश्चित कर सकें। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के तीन जिला निर्वाचन अधिकारी, 12 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, 68 BLO और युवा पर्यवेक्षक 26-27 मई को नई दिल्ली में आयोजित विशेष प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं।
ई-ऑफिस प्रणाली (PAOERLESS OFFICE) को भी तेजी से अपनाया जा रहा है, जिससे चुनावी कार्यप्रणाली को अधिक दक्ष और पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सके।
मतदाता सूचना पर्चियों में अब कम संख्या और मांग संख्या को विशेष रूप से स्पष्ट किया जाएगा ताकि मतदाताओं को अपने मतदान केंद्र और विवरण समझने में कोई कठिनाई न हो।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय, शिमला में राज्य मीडिया नोडल अधिकारियों के लिए उन्मुखीकरण सत्र आयोजित किए गए हैं, जिनमें मंडी के जिला संपर्क अधिकारी ने भी भाग लिया।
इन सुधारों के साथ उम्मीद की जा रही है कि हिमाचल प्रदेश में आगामी चुनाव प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सुचारू, पारदर्शी और भागीदारी पूर्ण होगी।