घोघड़, चम्बा 13 अप्रैल : जनजातीय क्षेत्र भरमौर में आज से तमाम देवालयों में पूजा अर्चना आरम्भ हो गई है। शीतकाल के दौरान सभी श्रद्धालुओ के लिए बंद हुए देवी- देवताओं के निवास क्षेत्र में आज बसोआ पर्व के बाद से सामान्य पूजा एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान आरम्भ हो गए हैं।
स्थानीय लोगों के अलावा यहां हजारों श्रद्धालु देश के विभिन्न भागों से पहुंचे थे । इतनी भारी संख्या के रात्री ठहराव व अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर स्थानीय प्रशासन केवल कार्तिक मंदिर तक ही सीमित रहा । जबकि शेष स्थलों पर प्रशासन शौचालयों के ताले तक नहीं खुलवा पाया। भरमौर व भरमाणी में श्रद्धालुओं को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ा। भरमौर मुख्यालय में कार पार्किंग, पुराना बस अड्डा नामक स्थान पर नव निर्मित शौचालय पर कई माह से ताले लटके रहे प्रशासन इन तालों को भी नहीं खुलवा पाया। भरमाणी माता मंदिर के पास बने शौचालयों में गंदगी भरी पड़ी थी,इन शौचालयों पानी की व्यवस्था नहीं की गई थी।
इस बारे में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर से कुलबीर सिंह राणा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए भरमौर मुख्यालय में सभी शौचालयों को खुलवा कर सफाई भी करवा दी गई है। परंतु स्थिति बिलकुल विपरीत पाई गई । विशेषकर महिला श्रद्धालुओं ने स्थानीय प्रशासन को खूब खरी-खरी सुनाई।
स्थानीय समाज सेवी गुलशन नंदा, जिम ट्रेनर मंजू क्षत्रीय, वरिष्ठ नागरिक तिलक राज, कुंज लाल सहित कई स्थानीय युवकों ने प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रशासन आम लोगों की मूलभूत जरूरतो से जुड़े छोटे-छोटे कार्य करने में असफल हो रहा है। प्रशासन के पास लोगों की आवश्यकताओं व समस्याओं को दूर करने के लिए कोई खाका नहीं है। कोई प्रभावशाली व्यक्ति जो कह देगा उसी के अनुसार वे कार्य करने लगता है भले ही उससे लोगों का कोई सरोकार न हो। इन लोगों ने कहा कि प्रशासन को कई बार ज्ञापन देकर सचेत किया गया था कि 13 अप्रैल से क्षेत्र के मंदिर सामान्य पूजा अर्चना के लिए खुल जाएंगे ऐसे में हजारों लोगों के एक साथ भरमौर पहुंचने की सम्भावना है इसलिए यहां समय रहते व्यवस्थाएं तैयार की जाएं परंतु प्रशासन केवल एक मंदिर के लिए व्यवस्थाएं बनाने में जुटा रहा जबकि अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए शौचालय तक नहीं खुले। लोगों ने अब प्रशासन को सीधे तौर पर चेताते हुए कहा कि एक माह में अगर शौचालयों के ताले न खुले तो स्वयं इन्हें खोल देंगे।
गौरतलब है कि पुराना बस अड्डा के पास शौचालय के अभाव में प्रतिदिन सवारियों विशेषतः महिलाओं व बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।