घोघड़, चम्बा, 26 सितम्बर : मणिमहेश यात्रा के बाद फैले कचरे को साफ करने के लिए प्रशासन अब तक मूक दर्शक बना हुआ है । मणिमहेश यात्रा को समाप्त हुए 25 दिन हो चुके हैं तो इस दौरान हुई भारी वर्षा के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं से पार पाने में अगले चार दिन लग गए थे। अब जबकि पूरे भरमौर मुख्यालय में आपदा से प्रभावित कोई कार्य शेष नहीं है जिसे तुरंत किए जाने के कारण प्रशासन को सफाई व्यवस्था के कार्य को लम्बित करना पड़े।
भरमौर मुख्यालय से लेकर भरमाणी माता मंदिर परिसर व हड़सर से मणिमहेश तक सफाई के लिए भरमौर प्रशासन ने सफाई के लिए टैंडर पर लाखों रुपए खर्च करने के अलावा गैर सरकारी संगठनों और कम्पनी से त्रिपक्षीय समझौता भी किया था। अब जबकि यात्रा को हुए एक पखवाड़ा बीत चुका है परंतु इसके बावजूद भरमौर मुख्यालय, भरमाणी माता मंदिर व मणिमहेश यात्रा मार्ग में सफाई व्यवस्था खराब है।
भरमाणी माता मंदिर परिसर में अस्थाई बाजार उठने के बाद वहां जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। कुछ स्थानों पर कचरे से भरे बोरों के ढेर भी लगे हुए हैं। जिन्हें प्रशासन द्वारा उठाया तक नहीं गया है। मंदिर परिसर के आसपास फैले इस कचरे के कारण पेयजल स्रोत दूषित हो रहा वहीं इसे मवेशी भी खा रहे हैं।
भरमाणी मंदिर परिसर में सफाई करते मंजू क्षत्रिय व उनके सहयोगी
क्षेत्र के फिटनेस ट्रेनर मंजीत ठाकुर मंजू कहते हैं कि मणिमहेश न्यास ने भरमाणी माता मंदिर परिसर में अस्थाई दुकानों की नीलामी व दानपात्रों से लाखों रुपये एकत्रित किए हैं परंतु सफाई व्यवस्था सम्भालने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि यात्रा से पूर्व भरमौर बाजार की नालियों तक की सफाई तक नहीं करवाई गई । उन्होंने कहा कि भरमाणी माता मंदिर परिसर में उन्होंने स्वयं अपने सहयोगियों के साथ सफाई अभियान चलाया था परंतु कचरे का स्थाई निस्तारण के लिए पर्याप्त संसाधन न होने के कारण वे वहां एक स्थान पर एकत्रित करके रख आए हैं ताकि प्रशासन इसे यहां से हटा ले।
भरमाणी मंदिर परिसर में फैला कचरा
स्थानीय कारोबारी राजेश कुमार, तरुण कुमार, विनोद कुमार, कश्मीर सिंह इत्यादि का कहना है कि इस वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान भी मुख्यालय में सफाई व्यवस्था बेहद खराब रही। सड़कों पर फैला कचरा निकासी नालियों में भरता रहा, जिस कारण वर्षा के दौरान नालियां बंद हो जाती व वर्षा का पानी सड़क पर बहता रहा। इतना ही नहीं बंद हुई इन निकासी नालियों को ठीक करने भी कोई नहीं आया। स्थानीय दुकानदार स्वयं ही इन नालियों को साफ करते । अब जबकि यात्रा समाप्त हो चुकी है परंतु सफाई के नाम पर चौरासी मंदिर प्रांगण, व बाजार की सड़क पर झाड़ू फेरने के अलावा सड़क के आस पास फैले कूड़े को नहीं हटाया जा रहा है। कूड़ेदान कई कई दिनों तक खाली न किए जाने के कारण आसपास बदबू का पर्याय बन रहे हैं। प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई निगरानी कमेटी सफाई कार्य की जांच नहीं करती। उन्होंने कहा कि भरमौर मुख्यालय में सफाई के नाम पर लाखों रुपये के खर्च किए जाते हैं परंतु धरातल पर कितना कार्य हो रहा है इसकी निगरानी कोई नहीं कर रहा है।
मणिमहेश यात्रा मार्ग पर फैला कचरा
उधर मणिमहेश यात्रा मार्ग पर सफाई व्यवस्था की पोल खोलते हुए स्थानीय युवकों संजय ठाकुर बालकृष्ण भट्ट बताते हैं कि वे चार दिन पूर्व ही मणिमहेश यात्रा पूरी करके लौटे हैं । उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग व पड़ावों पर बहुत अधिक कचरा फैला है जोकि हवा व वर्षा के पानी के बहाव से धणछो नाले में मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान मौसम की खराबी व प्रशासन द्वारा यात्रा रोक देने के कारण लंगर समितियां व अस्थाई दुकानदार अपना सामान वहीं छोड़कर लौट गए थे जिस कारण इस पवित्र क्षेत्र में बहुत अधिक कचरा फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि हड़सर से मणिमहेश तक खच्चर मार्ग तैयार हो चुका है परंतु अब तक इस क्षेत्र में सफाई अभियान नहीं चलाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र में जल्द सफाई न की गई तो वन्य प्राणी यहां पड़ी व खराब हो चुकी खाद्य सामग्री खाकर बीमार हो सकते हैं और हिमपात के बाद क्षेत्र में सफाई करना असम्भव है।
भरमौर मुख्यालय में ओवरफ्लो कूड़ेदान
क्षेत्र में सफाई व्यवस्था के प्रश्न पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने कहा कि सफाई की जिम्मेदारी जिन्हें सौपीं गई थी उनसे रिपोर्ट ली जाएगी अगर मुख्यालय में ठीक ढंग से सफाई नहीं हो रही तो इसे सुव्यवस्थित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मणिमहेश मार्ग में सफाई की जिम्मेदारी वन विभाग की ईको डेवलपमेंट कमेटी पर है जोकि सफाई कार्य के लिए निकल चुकी है।
इस बारे में वन मंडल अधिकारी नवननाथ माने ने कहा कि विभागीय दल हडसर-मणिमहेश यात्रा मार्ग व पड़ावों की सफाई के निकल चुका है। उन्होंने कहा कि इसमें ग्राम पंचायत हड़सर को भी शामिल किया गया है। वन मंडल अधिकारी ने कहा कि मणिमहेश यात्रा मार्ग से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए यहां सक्रिय गैरसरकारी संस्था हीलिंग हिमालय के प्रतिनिधियों से बात की जाएगी।