घोघड़, चम्बा, 06 अगस्त : मणिमहेश यात्रा 2025 के दौरान 24 से 29 अगस्त को हुई वर्षा के कारण अवरुद्ध हुए सड़क मार्ग व मोबाइल नेटवर्क ठप्प होने के कारण उत्पन्न हुई समस्या से भरमौर उपमंडल अभी भी उबर नहीं पाया है।
इस अवधि में हजारों मणिमहेश यात्रियों, दुकानदारों, व स्थानीय लोगों को हड़सर-मणिमहेश मार्ग से हटाकर कर भरमौर मुख्यालय पहुंचाया गया। एक साथ हजारों लोगों के भरमौर मुख्यालय में पहुंचने पर यहां उनके ठहरने व भोजन की व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने लगी।

यात्रियों के बैंक में पैसे तो थे लेकिन इन्टरनेट सेवा ठप्प होने के कारण न तो बैंकिंग सेवा चल पा रही थी व न ही गूगल पे,फोन पे जैसी आधुनिक डिजिटल करंसी सेवा काम कर रही थी। श्रद्धालु इस कदर परेशान थे कि कुछ तो अपने गहने व कीमती सामान गिरवी रखकर कैश प्राप्त करने के लिए लोगों से सम्पर्क कर रहे थे।
मौसम के कारण हालात बदतर न हो जाएं इस भय से हजारों श्रद्धालुओं ने भरमौर-चम्बा के बीच अवरुद्ध सड़क मार्ग पर पैदल ही घर लौटने के लिए कदम बढ़ा दिए थे। इन श्रद्धालुओं ने अपनी वापसी यात्रा तो आरम्भ कर दी थी परंतु भोजन-बिस्तर की मूल समस्या की चिंता उन्हें परेशान कर रही थी।
हजारों श्रद्धालुओं को इस विकट स्थिति में देख चम्बा जिला के हड़सर से चम्बा जिला मुख्यालय तक स्थानीय लोगों ने बिना देरी किए मानवता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया कि लगभग हर किमी के अंतराल पर लोग अपने स्तर पर श्रद्धालुओं के लिए लंगर व रात्रि ठहराव की व्यवस्था कर दी थी।
कुछ लोगों ने सामूहिक सहयोग से भोजन व रात्रि ठहराव की व्यवस्था की तो कई परिवारों ने स्वयं एक कमरे में सिमट कर यात्रियों के लिए पूरा घर खोल दिए।
भरमौर मुख्यालय में उस समय प्रशासन ने लंगर लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा था शिव चेलों के अनुरोध पर सावनपुर नामक स्थान पर एक मात्र लंगर को अनुमति प्रदान की गई थी जहां भोजन के लिए श्रद्धालुओं की कतारें सुबह से देर रात तक लग रही थीं। स्थानीय लोगों ने इस प्राकृतिक संकट को भांपते हुए चौरासी मंदिर प्रांगण, शनिदेव मंदिर, सावनपुर, सूंकू टपरी, दिनका, चनणी, लाहल, खड़ामुख,दुर्गेठी, ढकोग, लूणा, गैहरा, दुनाली, धरवाला व राख से चम्बा के बीच कई स्थानों पर लोगों ने मणिमहेश यात्रियों के लिए भोजन व रात्रि ठहराव की निशुल्क व्यवस्था कर दी।
इन सब से परे भरमौर के पंजसेई गाव के लोगों द्वारा मणिमहेश यात्रियों के लिए किया गया सहयोग अनूठा था। यह गांव मणिमहेश यात्रा मार्ग में भी नहीं आता परंतु जब संकट का समय आया तो इस गांव के युवा चम्बा-भरमौर सड़क पर फंसे करीब 300 यात्रियों को अपनी गाड़ियों में भरकर अपने गांव स्थित नाग मंदिर ले गए जहां उनके लिए सात दिन तक तीन समय का भोजन व रात्रि ठाहराव की व्यवस्था की। बात भोजन व रात्रि आश्रय तक की होती तो भी चलता परंतु ग्रामीणों ने मणिमहेश यात्रियों को भरमौर की गद्दी संस्कृति व परम्परा से अवगत करवाने के लिए स्थानीय कलाकारों को बुलाकर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करवा दिए।
पंजसेई व खौलेड़ गांव के युवाओं के अनुसार लगातार सात दिन तक वे तीन से चार सौ लोगों के भोजन की व्यवस्था कर रहे थे जिसके लिए गांव के लोग गैस सिलेंडर से लेकर राशन तक उपलब्ध करवा रहे थे। करीब-करीब हर घर से कुछ न कुछ इन यात्रियों के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा था। गांव के युवाओं ने कहा कि भगवान शिव की उपासना के लिए निकले शिवभक्तों की सेवा करने का अवसर जब भी मिले उससे चूकना नहीं चाहिए यही शिवमत है।

मणिमहेश यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए स्थानीय लोगों द्वारा किए इस मानवता भरे कार्य की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है परंतु पंजसेई गांव के लोगों द्वारा दिए गए उनके योगदान की चर्चा हर जुबान पर बनी हुई है।
