घोघड़, शिमला, 4 दिसम्बर 2025 : सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी में बढ़ते जलस्तर और तेज़ी से जमा हो रही गाद (सिल्ट) की गंभीर समस्या को लेकर उपायुक्त अनुपम कश्यप ने सुन्नी में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 15 दिसंबर से कोल डैम प्रबंधन द्वारा सोनार तकनीक से विस्तृत सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा, जो 15–20 दिनों में पूरा हो जाएगा। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर सुन्नी और आसपास के क्षेत्रों के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट—सबसे चिंताजनक तथ्य
बैठक में आईआईटी रुड़की की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट को सबसे महत्वपूर्ण माना गया। इस रिपोर्ट में वर्ष 2014 से 2024 तक सतलुज नदी में सिल्ट जमाव की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।
मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं—
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2014 से 2021 तक सिल्ट स्तर स्थिर रहा, कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया।
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2021 के बाद सिल्ट में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई।
जोन-वार स्थिति:
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जोन-1 (तत्तापानी):
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2022 में 7 हेक्टेयर
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2023 में 27 हेक्टेयर
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जोन-2 (सुन्नी):
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2022 में 0.5 हेक्टेयर
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2023 में 10 हेक्टेयर
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जोन-3 (चाबा):
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2022 में 1.7 हेक्टेयर
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2023 में 8 हेक्टेयर
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुन्नी में जमा हो रही सिल्ट भवन निर्माण के लिए उपयुक्त है, और इसके वैज्ञानिक व नियंत्रित तरीके से माइनिंग किए जाने की सलाह दी गई है ताकि नदी का जलस्तर कम हो सके। एनटीपीसी ने राज्य सरकार को माइनिंग हेतु एनओसी जारी करने पर सहमति जताई है।
सोनार तकनीक से होगा गहराई का आकलन
उपायुक्त कश्यप ने बताया कि सोनार सर्वेक्षण पानी के भीतर ध्वनि तरंगों से संरचनाओं और तल की वास्तविक स्थिति का पता लगाता है। कम दृश्यता वाले वातावरण में यह तकनीक सबसे विश्वसनीय मानी जाती है। सर्वेक्षण से सिल्ट जमा होने के पैटर्न, गहराई में हुए बदलाव और खतरे वाले क्षेत्रों का सटीक आंकलन संभव होगा।
बढ़ते जलस्तर से घरों और संस्थानों को खतरा
उपायुक्त ने कहा कि इस वर्ष सुन्नी में बढ़ते जलस्तर के कारण
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आईटीआई परिसर
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विश्राम गृह
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गोसदन
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कई रिहायशी मकान
में जलभराव और गाद भरने की स्थिति बनी। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया।
थली पुल की मरम्मत के लिए 10 करोड़ स्वीकृत
उपायुक्त ने बताया कि थली पुल की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल चुकी है, और इस महीने कार्य शुरू हो जाएगा। नया पुल मौजूदा पुल से तीन मीटर ऊँचा और सस्पेंशन तकनीक पर आधारित होगा, जिससे आगामी मानसून में जोखिम कम होगा।
पिछले वर्षों में भारी नुकसान
लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार,
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2018-19 में पहली बार चाबा हाइड्रो पावर को डैम से बढ़े जलस्तर के कारण नुकसान हुआ।
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2023 में चाबा ब्रिज पूरी तरह ढह गया — 15 करोड़ रुपये का नुकसान।
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2024 में थली ब्रिज को 5 लाख रुपये का नुकसान, और अगस्त में इसके रेज़िंग डेक को भारी क्षति हुई, जिसकी मरम्मत पर लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
रिपोर्ट में पाया गया कि गाद बढ़ने से नदी के तट कट रहे हैं, सड़कें बह रही हैं और उपजाऊ जमीनें जलमग्न हो रही हैं। यदि जलस्तर और बढ़ा तो तत्तापानी, सुन्नी और चाबा के पीएससी कैंटिलीवर ब्रिज भी जलमग्न होने का खतरा है।
उपायुक्त ने कहा कि प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है और इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। बैठक में एडीएम ज्योति राणा, एसडीएम राजेश वर्मा, एनटीपीसी के अधिकारी सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

