घोघड़, चम्बा, 9 दिसम्बर : मध्यप्रदेश के इंदौर में 1 से 4 दिसंबर तक आयोजित अंडर-14 स्कूली राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 100 मीटर रेस में मात्र 0.40 सेकंड के बेहद मामूली अंतर से पदक से चूकने वाले धावक वरुण शर्मा का आज भरमौर पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। स्थानीय युवाओं, शिक्षकों और लोगों ने मुख्यालय में रैली निकालकर इस उभरते खिलाड़ी का हौसला बढ़ाया।
कक्षा नवम में पढ़ रहे वरुण ने 100 मीटर दौड़ 12.40 सेकंड में पूरी की, जबकि कांस्य पदक पाने वाले खिलाड़ी से वह सिर्फ कुछ अंश धीमे रहे। इसके अलावा उन्होंने 4×100 मीटर रिले और लॉन्ग जंप में भी हिस्सा लिया था। वरुण ने बताया कि प्रतियोगिता से पहले हमीरपुर में 20 से 27 नवंबर को आयोजित प्रशिक्षण शिविर में उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन मिला, लेकिन सीमित अभ्यास समय और संसाधनों की कमी ने उनकी तैयारी को प्रभावित किया।
जनजातीय क्षेत्र में खेल अकादमी का अभाव बना बड़ी बाधा
स्थानीय स्तर पर मौजूद कमज़ोर खेल ढांचा एक बार फिर चर्चा में है। भरमौर जैसे जनजातीय क्षेत्र में अभी तक कोई खेल अकादमी अथवा आधुनिक प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध नहीं है। यही कारण है कि वरुण जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी प्रशिक्षण, उचिपर्याप्त त मैदान और तकनीकी सहायता न मिलने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के बावजूद पदक से वंचित रह जाते हैं।
वरुण के पिता राजेश शर्मा, जो भरमौर में दुकान चलाते हैं, बताते हैं कि उनका बेटा पिछले मात्र चार महीनों से हैलिपैड के सीमित मैदान में अभ्यास कर रहा है। वे कहते हैं,
“क्षेत्र के युवा खेलों में नए आयाम स्थापित कर सकते हैं, लेकिन न सरकार ने खेल अकादमी दी है और न ही खिलाड़ियों के लिए संसाधन उपलब्ध हैं। अगर सुविधाएं मिलें, तो हमारे बच्चे राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक सकते हैं।”
वरुण ने भी स्पष्ट कहा कि यदि उसे नियमित अभ्यास का मौका, आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण और उपयुक्त ट्रैक मिले, तो वह देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत सकता है।
जो लड़का जोनल स्तर की खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दौड़ने लगा था और बिना किसी विशेष प्रशिक्षण व संसाधन के राष्ट्र स्तर की प्रतियोगिता तक जा पहुंचा। केवल पहुंचा ही नहीं बल्कि वह लगभग मैडल को पा ही चुका था। तो अब प्रश्न यह है कि अगर वरुण को दौड़ से सम्बंधित आधारभूत सुविधाएं भी मिली होती तो भी क्या वह चौथे स्थान पर ही रहता ? इस प्रश्न का जबाव तो सरकार को देना ही होगा।
गौरतलब है कि राज्य स्तरीय 100 मीटर दौड़ में दूसरा स्थान प्राप्त करने के बाद ही वरुण को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का अवसर मिला था। वरुण की इस उपलब्धि ने एक बार फिर प्रशासन और खेल विभाग का ध्यान आकर्षित किया है कि जनजातीय क्षेत्रों में खिलाड़ियों की क्षमता को निखारने के लिए स्थायी खेल अकादमी और ढांचागत सुविधाओं की अत्यंत आवश्यकता है।

