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घोघड़, चम्बा 19 अक्तूबर : दीपावली पर्व आतिशबाजी व दीपों का त्योहार है।आग के बिना आतिशबाजी और दीप जलाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे अवसर पर कई बार आगजनी की घटना हो जाती हैं। इस त्योहार को सुरक्षित रूप से मनाने के लिए सरकार ने आतिशबाजी बिक्री स्थलों को आवासीय परिसरों से दूर स्थान चिन्हित करने के नियम बना रखे हैं वहीं आतिशबाजी करने के लिए भी विशेष नियम बनाए हैं। आम जनमानस के लिए जारी नियमों के साथ-साथ सरकारी भवनों , महत्वपूर्ण सार्वजनिक ढांचों को आगजनी से सुरक्षित रखने के लिए कई कड़े नियम हैं । इन नियमों की पालना करवाना प्रशासनिक अधिकारियों का कर्तव्य है।

हर कोई चाहता है कि यह वार्षिक त्योहार हर्षोल्लास व सुरक्षित तरीके से सम्पन्न हो परंतु अग्नि से जुड़ी इसकी रीतियों के कारण कहीं न कहीं दुर्घटना होने की सम्भावना बनी ही रहती है।

लघुसचिवालय भवन पट्टी में स्थापित एक्सपायर तिथि का अग्निशमन यंत्र

भरमौर क्षेत्र जहां गांवों में लकड़ी के घर, शीतकाल को पशुओं के लिए संचित सूखा चारा, पुरातत्व महत्व के प्राचीन मंदिर  आगजनी के खतरे से दूर नहीं हैं। इन स्थलों को आगजनी से बचाने के लिए नेताओं व अधिकारियों द्वारा अधिकारिक बैठकों में बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं परंतु धरातल पर इसे गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है । यही नहीं सरकारी कार्यालय भवनों में भी आगजनी को लेकर सतर्कता नहीं है।

दीपावली से पूर्व क्षेत्र में अग्निशमन की व्यवस्थाओं की समीक्षा की जानी चाहिए थी परंतु मुख्यालय में हाल यह है कि नागरिक अस्पताल भरमौर, पुरातत्व महत्व के चौरासी मंदिर परिसर से अग्निशमन यंत्र हटा लिए गए हैं। नागरिक अस्पताल भवन  भरमौर के पैथोलॉजी कमरे के बाहर अलमारी के पीछे एक्सपायर हो चुका एक अग्निशमन सिलेंडर देखा गया जबकि चौरासी मंदिर के पुरातत्व महत्व के मंदिरों महादेव, लखना, गणपति मंदिरों में आज अग्निशमन यंत्र नहीं दिखे जबकि धर्मराज व नृसिंह मंदिर के पास स्थापित अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं।

नृसिंह मंदिर के बाहर स्थापित एक्सपायर तिथि का अग्निशमन यंत्र

यही नहीं लघुसचिवालय भवन भरमौर व अन्य सरकारी कार्यालयों के बहुत से अग्निशमन यंत्र मार्च माह में ही एक्सपायर हो चुके हैं जिन्हें अब तक बदला नहीं गया है।

गांवों में अग्निशमन सेवा की तो बात ही नहीं की जाती। यहां आग बुझाने की जिम्मेदारी स्वयं गांव के लोग उठाते हैं। अधिकारी व नेताओं द्वारा गांव-गांव में हाईड्रेंट या उसका विकल्प स्थापित की बातें की जाती हैं जो अब तक केवल बातें ही बनकर रही हैं।

धर्मराज मंदिर भरमौर के बाहर स्थापित एक्सपायर तिथि का अग्निशमन यंत्र

अब प्रश्न उठता है कि अगर इस समय आगजनी की कोई घटना हो जाए तो प्रशासन व अग्निनशमन विभाग उस पर नियंत्रण कैसे पाएगा। सरकारी तंत्र द्वारा गावों में आगजनी पर काबू पाने की तो बात ही छोड़ दें क्योंकि गांवों के लिए बनी सड़कें तो गावों के एक छोर तक ही पहुंचती हैं जबकि आगजनी वाले स्थान तक अग्निशमन वाहन का पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसे में मुख्यालय में ही अग्निशमन सेवा की बात करें तो अग्निशमन वाहन मुख्यालय से 14 किमी की दूरी पर स्थित केंद्र पर तैनात हैं जहां से मुख्यालय तक पहुंचने में उन्हें आधा घंटा का समय लगता है। आग के लिए इतना समय सबकुछ खाक करने के लिए पर्याप्त होता है। ऐसे में भवनों में स्थापित अग्निशमन यंत्र मह्त्वपूर्ण हो जाते हैं। अगर समय पर यह भी खराब मिलें तो नुकसान की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

नागरिक अस्पताल भरमौर में पैथोलॉजी कमरे के बाहर अलमारी के पीछे स्थापित एक्सपायर तिथि का अग्निशमन यंत्र

इस संदर्भ में अतरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा बताते हैं कि अग्निशमन विभाग दीपावली के आसपास के दिनों में अतिरिक्त सतर्कता के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि सभी विभाग सरकारी कार्यालयों में अग्निशमन यंत्र स्थापित किए गए हैं और इन्हें समय पर रिफिल करवाना व समय समय पर जांच करना सम्बंधित विभाग के अधिकारी की ड्यूटी है। वहीं चौरासी प्रांगण के पुरातत्व महत्व के मंदिरों में अग्निशमन प्रबंध की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है।

फायरमैन बाली राम ने कहा कि उनकी पूरी युनिट अलर्ट मोड पर है। दोनों अग्निशमन वाहनों को भी तैयार रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस समय अग्निशमन केंद्र खड़ामुख के पास एक क्यूआरबी वैन व एक 4500 लीटर क्षमता वाटर टैंडर वाहन मौजूद है। अगिनि शमन केंद्र खड़ामुख में इस समय 12 सदस्यों का दल है जोकि आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने व बचाव अभियान चलाता है।

हैरानी की बात यह है कि भरमौर अग्निशमन के पास अपना हाइड्रेंट नहीं है, हाइड्रेंट से पानी भरने के लिए अग्निशमन अधिकारी को जलविद्युत परियोजना कम्पनी का सहयोग लेना पड़ता है। घटना स्थल पर वाहन का पानी समाप्त होने के बाद उन्हें भरने के लिए फिर से लम्बा समय लग जाता है। अग्निशमन विभाग वर्षों से क्षेत्र को अलग अलग भागों में हाइड्रेंट स्थापित करने की मांग करते आए हैं परंतु उनकी इस अतिआवश्यक मांग को प्रशासन व सरकार गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं।

अग्निशमन सिलेंडर आग के प्रकार (Class of Fire) के अनुसार कई प्रकार के होते हैं। भारत में IS 15683 : 2018 (Bureau of Indian Standards – BIS) के अनुसार इन्हें मुख्यतः पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है:

क्रम प्रकार प्रयुक्त रासायनिक पदार्थ उपयुक्त अग्नि श्रेणी उपयोग के क्षेत्र
1️⃣ Water Type (Water CO₂) पानी (H₂O) Class A (लकड़ी, कागज़, कपड़ा आदि) दफ्तर, स्कूल, गोदाम
2️⃣ Foam Type (AFFF Foam) Aqueous Film Forming Foam Class A और B (कपड़ा, तेल, पेट्रोल आदि) पेट्रोल पंप, वाहन, वर्कशॉप
3️⃣ CO₂ Type (Carbon Dioxide) कार्बन डाइऑक्साइड गैस Class B और C (ज्वलनशील तरल और विद्युत आग) कम्प्यूटर रूम, कार्यालय, सर्वर रूम
4️⃣ Dry Chemical Powder (DCP) Sodium / Mono-Ammonium Phosphate Powder Class A, B, C (बहुउपयोगी) सरकारी भवन, फैक्ट्री, कार्यालय
5️⃣ Clean Agent / Halotron Halocarbon gases (HFC-236fa आदि) Class A, B, C और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सुरक्षित डेटा सेंटर, अस्पताल, सरकारी कार्यालय

भारत में यह नियम राष्ट्रीय भवन संहिता (National Building Code of India – NBC 2016, Part 4), फायर सर्विस एक्ट, और स्थानीय नगर निगम / अग्निशमन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार लागू होते हैं। मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:

1. संख्या और स्थान (Placement & Quantity)

  • प्रत्येक तल (Floor) पर आग के प्रकार के अनुसार उचित अग्निशमन यंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

  • न्यूनतम एक अग्निशमन यंत्र हर 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर अनिवार्य है।

  • बिजली पैनल, सर्वर रूम, स्टोर रूम, रसोई आदि के पास अतिरिक्त CO₂ या DCP यंत्र लगाना आवश्यक है।

  • यंत्र को दीवार पर 1.5 मीटर ऊंचाई पर और आसानी से पहुंच योग्य स्थान पर लगाना चाहिए।

2. निरीक्षण और रखरखाव (Inspection & Maintenance)

  • प्रत्येक सिलेंडर का मासिक दृश्य निरीक्षण (Visual Inspection) किया जाना चाहिए।

  • हर 6 महीने में फायर डिपार्टमेंट या लाइसेंस प्राप्त एजेंसी द्वारा निरीक्षण और रीफिल करवाना आवश्यक है।

  • समाप्त (Expired) या क्षतिग्रस्त सिलेंडर को तुरंत बदलना अनिवार्य है।

  • रखरखाव का रेकॉर्ड लॉगबुक में रखना जरूरी है।

3. फायर ड्रिल और प्रशिक्षण (Fire Drill & Training)

  • सभी सरकारी कर्मचारियों को कम से कम वर्ष में एक बार अग्निशमन अभ्यास (fire drill) करवाना आवश्यक है।

  • कार्यालय में फायर वार्डन या सुरक्षा प्रभारी अधिकारी नामित किया जाना चाहिए।

4. अनुमोदन और लाइसेंसिंग

  • भवन निर्माण के समय फायर NOC (No Objection Certificate) लेना जरूरी होता है।

  • यह NOC स्थानीय फायर सर्विस विभाग द्वारा निरीक्षण के बाद दी जाती है।

5. साइन बोर्ड और मार्ग (Signage & Escape Routes)

  • “Fire Extinguisher”, “Exit”, “Emergency Exit”, “No Smoking” आदि बोर्ड्स फ्लोरोसेंट साइन के रूप में लगाए जाने चाहिए।

  • निकास मार्ग हमेशा साफ़ व अवरोध रहित होना चाहिए।

कानूनी दायित्व (Legal Obligation)

यदि किसी सरकारी दफ्तर में अग्निशमन उपकरण नहीं लगे हैं या रखरखाव नहीं किया गया है, तो संबंधित विभागीय अधिकारी पर लोक सुरक्षा अधिनियम, भवन उपविधियों, या फायर सर्विस एक्ट 1986 (राज्य के अनुसार) के तहत कार्रवाई हो सकती है।


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