घोघड़,ऊना, 16 सितम्बर : हिमाचल प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को उच्च शिक्षा की राह आसान बनाने के लिए शिक्षा ऋण योजना चला रही है। इस योजना के अंतर्गत मैट्रिक के बाद तकनीकी विषयों और व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसमें 75 हजार रुपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जाता है, जबकि 75 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक की राशि पर 4 से 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर लागू होती है।
योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों के बच्चों को मिल सकता है जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये से कम है। इस ऋण में माता-पिता या अभिभावक सह-ऋणी होते हैं और इसकी अदायगी कोर्स पूरा होने के दो वर्ष बाद या फिर रोजगार प्राप्त होने पर, जो पहले हो, शुरू होती है। डिप्लोमा व डिग्री कोर्स जैसे जेबीटी, एमबीबीएस, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, एमबीए, होटल मैनेजमेंट और अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए यह सुविधा उपलब्ध है।
मंगलवार को गगरेट उपमंडल के पिरथीपुर निचला और चलेट अप्पर गांवों में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से संबद्ध नाट्य दल आर.के. कलामंच चिंतपूर्णी ने नुक्कड़ नाटक और गीत-संगीत के माध्यम से ग्रामीणों को इस योजना के बारे में जागरूक किया। कलाकारों ने बताया कि यह पहल गरीब तबके के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने और अपने सपनों को साकार करने में सहायक है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना, इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना और इंदिरा गांधी सुख सुरक्षा योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी साझा की।
कार्यक्रम के दौरान कलाकारों ने नशा निवारण पर विशेष जोर देते हुए लोगों से नशे से दूर रहने और समाज में इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने की अपील की।
