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घोघड़, नई दिल्ली 15 दिसम्बर : केंद्र सरकार देश में पर्यटन को समग्र रूप से बढ़ावा देने के लिए लगातार नई पहल कर रही है। इसी कड़ी में पर्यटन मंत्रालय द्वारा इको-टूरिज्म और सतत पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। मंत्रालय ने इको-टूरिज्म के विकास हेतु एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार कर उसे सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा है, ताकि स्थानीय स्तर पर पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि होटलों के स्टार वर्गीकरण के दिशानिर्देशों में भी पर्यावरण संरक्षण को अनिवार्य किया गया है। इसके तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट प्रबंधन, हवा-पानी-प्रकाश प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था तथा रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग के लिए नॉन-सीएफसी उपकरणों के उपयोग जैसी शर्तें शामिल हैं। इसके अलावा, सतत पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रणनीति तैयार की गई है, जिसके अनुरूप ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ (TFL) कार्यक्रम शुरू किया गया है, ताकि पर्यटक और पर्यटन से जुड़े व्यवसाय जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को अपनाएं

पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर भी पर्यटन मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। हालांकि पर्यटकों की सुरक्षा राज्य का विषय है, फिर भी केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय कर समर्पित पर्यटक पुलिस की तैनाती पर जोर दे रही है। वर्तमान में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में पर्यटक पुलिस की व्यवस्था की गई है।

इसके अलावा, देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों की सहायता के लिए 24×7 बहुभाषी टोल फ्री पर्यटक हेल्पलाइन 1800-11-1363 और शॉर्ट कोड 1363 शुरू की गई है। यह सेवा हिंदी, अंग्रेजी सहित कुल 12 भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें 10 अंतरराष्ट्रीय भाषाएं भी शामिल हैं।

महिला पर्यटकों की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के अंतर्गत ‘महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन स्थल’ योजना का लाभ उठाने के लिए राज्यों से लगातार आग्रह किया जा रहा है। साथ ही, ‘सुरक्षित और सम्मानजनक पर्यटन के लिए आचार संहिता’ को अपनाया गया है, ताकि पर्यटकों और स्थानीय निवासियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों, के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।


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