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घोघड़, नई दिल्ली 10 दिसम्बर : विश्वभर में आनंद, प्रकाश और आध्यात्मिक उत्साह का प्रतीक मानी जाने वाली दीपावली को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) सूची में सम्मिलित कर लिया है। यह फैसला भारत की सांस्कृतिक पहचान के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। यूनेस्को समिति की बैठक में दीपावली के बहुआयामी स्वरूप—धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और कला से जुड़े तत्वों—को वैश्विक विरासत के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया गया।

दीपावली को क्यों मिली मान्यता?

यूनेस्को की विशेषज्ञ समिति ने दीपावली के उन पहलुओं को रेखांकित किया जो इसे केवल एक धार्मिक पर्व से आगे बढ़ाकर सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय प्रतीक बनाते हैं—

  • समुदायों को जोड़ने वाला त्योहार — दीपावली देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग रूपों में मनाई जाती है, जो भारत की सांस्कृतिक बहुलता का सुंदर उदाहरण है।

  • लोककला, पूजा-पद्धति और शिल्प का संरक्षण — दीये बनाना, रंगोली, मिठाइयों की परंपरा, लोकगीत, नाटक और पूजा-अनुष्ठान सदियों पुरानी परंपराओं को जीवित रखते हैं।

  • अंधकार पर प्रकाश की विजय का सार्वभौमिक संदेश — यह संदेश किसी एक संस्कृति तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता की साझा भावना का प्रतीक है।

  • लोक अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार — कुम्हारों, हस्तशिल्पियों, मिठाई निर्माताओं, वस्त्र उद्योग, फूल व्यापारियों और त्योहार संबंधी लाखों लोगों की आजीविका इससे जुड़ी है।

यूनेस्को ने बताया कि दीपावली का सामूहिक उत्सव समुदाय में एकजुटता, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक सद्भावना को मजबूत करता है।

भारत के लिए क्या महत्व?

1. अंतरराष्ट्रीय पहचान में वृद्धि

अब दीपावली को वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक धरोहर के रूप में आधिकारिक मान्यता मिल गई है। इससे भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक परंपराओं को विश्वभर में अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।

2. सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूती

भारत सांस्कृतिक विरासत की शक्ति को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रभावी रूप से उपयोग कर सकेगा। यह ‘सॉफ्ट पावर’ कूटनीति को और मजबूत करेगा।

3. आर्थिक क्षेत्र को प्रोत्साहन

  • पर्यटन को बढ़ावा

  • हस्तशिल्प व कारीगरों के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान

  • स्थानीय त्योहार आधारित उद्योगों में निवेश की संभावना
    यूनेस्को सूची में शामिल तत्वों के लिए कई देशों में विशेष पर्यटन अभियानों का संचालन होता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।

4. विरासत संरक्षण को नई गति

सरकार तथा सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा दीपावली से जुड़े पारंपरिक ज्ञान, कला और रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिए अधिक योजनाएं और संसाधन उपलब्ध होंगे।

दीपावली त्योहार के लिए क्या लाभ होगा?

1. वैश्विक प्रचार

दीपावली पहले ही विश्वभर में मनाई जाती है, पर अब इसे आधिकारिक वैश्विक सांस्कृतिक विरासत होने की पहचान मिलेगी। इससे विभिन्न देशों में भारतीय समुदायों द्वारा आयोजित दीपावली समारोहों को और अधिक समर्थन मिलेगा।

2. सांस्कृतिक अनुसंधान को बढ़ावा

विश्व के विश्वविद्यालय, सांस्कृतिक संस्थान और शोधकर्ता अब दीपावली पर और अधिक अध्ययन करेंगे, जिससे इसकी परंपराएं विस्तृत रूप से दर्ज और संरक्षित होंगी।

3. नई पीढ़ी में जागरूकता

युवा पीढ़ी पारंपरिक त्यौहारों को आधुनिक ढंग से समझ सकेगी और उनके संरक्षण के प्रति अधिक संवेदनशील बनेगी।

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया –

मोदी ने कहा, ‘‘भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचित हैं। हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल करने से इस पर्व की वैश्विक लोकप्रियता और भी बढ़ेगी।

प्रभु श्री राम के आदर्श हमारा शाश्वत रूप से मार्गदर्शन करते रहें”।


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