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घोघड़ चम्बा, 12 अगस्त :  मणिमहेश यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु भरमौर मुख्यालय पहुंचते हैं । लंगर समितियों द्वारा जिनके भोजन की मुफ्त व्यवस्था की गई होती है। वर्षों से चली आ रही इस व्यवस्था को भरमौर प्रशासन द्वारा इस वर्ष बंद कर दिया गया । भरमौर प्रशासन द्वारा मुख्यालय में पट्टी से ददवां नामक स्थान की करीब 02 किमी के क्षेत्र में लंगर न लगाने का फैसला लिया गया है। प्रशासन का तर्क है कि इस क्षेत्र में ट्रैफिक जाम की समस्या आती है इस कारण इस क्षेत्र में लंगर न लगाने का निर्णय लिया गया है। जबकि लोगों ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि लंगरों के कारण कभी यातायात बाधित नहीं हुआ है अन्यथा लंगरों को वर्षों पूर्व ही अनुमति बंद कर दी जाती।

शिव चेला समिति सचूईं ने प्रशासन द्वारा भरमौर मुख्यालय में लंगर न लगाने के निर्णय का विरोध किया है। शिव चेला समिति अध्यक्ष धर्म चंद, सचिव उत्तम चंद, सदस्य अमित कुमार का कहना है कि मणिमहेश यात्रा के दौरान हजारों लोग श्रद्धालु गरीब परिवार से होते हैं जो पैदल यात्रा करते व लंगरों पर भोजन करते हैं। इनमें साधु भी शामिल हैं। भरमौर में चौरासी मंदिर व भरमाणी माता मंदिर में देवी का आशीर्वाद लेने की परम्परा के कारण सभी श्रद्धालु यहां रात्रि ठहराव करते हैं। यात्रा अवधि में  हर दिन यहां दस हजार से अधिक श्रद्धालु भरमौर मुख्यालय में ठहरते हैं ऐसे में बहुत से श्रद्धालु लंगर द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले भोजन पर निर्भर होते हैं। शिव चेला समिति प्रतिनिधियों ने अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर एवं अध्यक्ष, मणिमहेश न्यास से मांग की है कि लंगर सेवा समितियों को सावनपुर व पट्टी में लंगर स्थापित करने की शीघ्र अनुमति प्रदान की जाए ताकि श्रद्धालुओं को उनकी आवश्यकता का भोजन मिल सके।

इस दौरान सोशल मीडिया पर भी लंगर न लगाने के निर्णय पर भरमौर प्रशासन की खिल्ली उड़ाई जा रही है। लोग इस निर्णय के खिलाफ कई प्रकार से अपनी टिप्पणियां लिख कर विरोध जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि जहां लोगों की सबसे अधिक भीड़ रहती है वहां प्रशासन ने लंगर न लगाने का फैसला लिया है जोकि बिलकुल अनुचित है। लोग भोजन के लिए लंगर की तलाश कर रहे हैं।

ग्राम पंचायत भरमौर के वार्ड सदस्य अनीष शर्मा बताते हैं कि बहुत से श्रद्धालु शाकाहारी होने के कारण ढाबों पर भोजन करना उचित नहीं मानते इसलिए वे लंगर में भोजन करना सुरक्षित मानते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को अपना निर्णय बदल कर लंगर लगाने की अनुमति समितियों को देनी होगी अन्यथा लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा।


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