घोघड़, ऊना, 7 दिसम्बर : जल आपदाओं के दौरान दुर्घटनाओं की रोकथाम, न्यूनीकरण व बचाव अभियानों में नाविकों का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है। नाविकों को और अधिक कुशल बनाने के लिए खंड विकास कार्यालय बंगाणा के सहयोग से एनडीआरएफ की टीम ने शनिवार को गोविन्द सागर झील के विभिन्न घाटों के नाविकों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 50 नाविकों और झील के आसपास के गावों में रहने वाले ग्रामीणों ने भाग लिया।
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल आपदाओं, दुर्घटनाओं की रोकथाम और न्यूनीकरण के लिए नाविकों को जागरूक और प्रशिक्षित करना है ताकि जलमार्गों पर सुरक्षा मानकों को मजबूत और आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को विकसित किया जा सके।
प्रशिक्षण में क्षेत्रीय नाविकों और ग्रामीणों को जल सुरक्षा के नवीनतम तकनीकों, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव उपकरणों के उपयोग और आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं आपातकालीन स्थितियों में नाव संचालन से संबंधित आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई। इस दौरान एनडीआरएफ के विशेषज्ञों ने नाविकों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और तूफान के दौरान अपनी और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कौशल सिखाने के साथ बचाव उपकरण जैसे लाइफ जैकेट, रेस्क्यू बोट्स और संचार उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करना सिखाया गया। उन्होंने आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकालने और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया। प्रशिक्षण में स्थानीय जलमार्गों की विशिष्ट चुनौतियों और उनके प्रभावी समाधान पर चर्चा की गई।
NDRF के अधिकारी असिस्टेंट कमांडेंट सुनील कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य नाविकों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना है ताकि वे किसी भी जल दुर्घटना की स्थिति में प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें और जनहानि को न्यूनतम कर सकें। उन्होंने कहा कि नाविकों की भूमिका आपदाओं के दौरान बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस प्रशिक्षण से उन्हें आपात स्थितियों में त्वरित और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने इसकी सराहना की और इसे जलमार्गों की सुरक्षा के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।