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घोघड़, चम्बा 18 अगस्त : जन्माष्टमी स्नान के साथ मणिमहेश यात्रा का आधा चरण पूरा हो जाता है। प्रशासन को यात्रा आरम्भ होने से पूर्व ही प्रबंध कर लेने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन यात्रा से सम्बंधित व्यवस्थाएं अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं।

यात्रा के दौरान स्वच्छता व्यवस्था हेतु 02 करोड़ रुपए की लागत से 200 शौचालय निर्मित करने का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। गौरीकुंड व सुनराही में शौचालय अभी भी स्थापित किए जाने शेष हैं। श्रद्धालु खुले में शौच करने के लिए विवश हैं। 

श्रद्धालुओं का कहना है कि कई शौचालयों में  पानी न होने के कारण गंदगी भर गई है। शौचालयों में रोशनी की व्यवस्था भी नहीं की गई है । अंधेरे में श्रद्धालुओं विशेषतः बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मणिमहेश ठेकेदार युनियन भरमौर ने इस पर निराशा व्यक्त करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा को एक और शिकायत पत्र देकर कार्रवाई करने की मांग की है। युनियन अध्यक्ष शिव कुमार ने कहा कि प्रशासन द्वारा यात्रा से पूर्व मणिमहेश मार्ग व पड़ावों पर प्रीफैब्रीकेटड शौचालय स्थापित किए जाने के लिए जुलाई माह में निविदा आमंत्रित की थी । जिसकी शर्तों के अनुसार यह शौचालय 40 दिनों में स्थापित किए जाने थे परंतु यात्रा का आधा चरण बीत जाने के बावजूद शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो शौचालय व टैंक बनाए भी गए हैं तो उन्हें प्रारूप के अनुसार नहीं बनाया गया है। शिव कुमार ने कहा कि उन्होंने इसी मुद्दे पर 12 अगस्त को भी एक शिकायत पत्र अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी को सौंपकर कार्रवाई की मांग की थी परंतु उस पर भी कोई गौर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है परंतु धरातल पर उसका पूरा लाभ श्रद्धालुओं को नहीं मिल रहा है।

उधर इस संदर्भ में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने कहा कि शौचालयों की निर्माण क्वालिटी जांचने के लिए क्वालिटी कंट्रोल समिति को कहा गया है वहीं शौचालय निर्माण में देरी होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि निविदा के नियमों अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों की जांच केवल शौचालयों की ही नहीं बल्कि पूरे भरमौर क्षेत्र में हुए व हो रहे कार्यों की होगी। 

शौचालय निर्माण में हुई देरी के लिए ठेकेदार को तो आर्थिक दंड लगाया जा सकता है परंतु इस कारण श्रद्धालुओं को हुई असुविधा व पर्यावरण को हो रहे नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी, इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कोई तैयार नहीं है।  

   

 


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