घोघड़, चम्बा, 22 जुलाई : जनजातीय क्षेत्र भरमौर में शिक्षा की लौ दिखाने वालों की कमी के कारण यह पीढ़ी पीड़ित हो रही है। रावमापा लामू में अध्यापकों की कमी के कारण स्कूली बच्चों की पढ़ाई इस कदर प्रभावित हो रही है कि बच्चे प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं।
आज सुबह बच्चे जब स्कूल पहुंचे तो उन्होंने पोस्टर पर नारे लिखकर स्कूल में अध्यापकों की तैनाती की मांग की। विद्यार्थियों ने जमकर नारेबाजी भी की। विद्यार्थियों का कहना है कि गत वर्ष भी जमा एक व दो को पढ़ाने के लिए एक ही अध्यापक था। प्रशासन ने इतिहास व हिन्दी विषय के प्रवक्ताओं को इस स्कूल में प्रति नियुक्त किया था परंतु उनमें से केवल इतिहास विषय के अध्यापक ने ही यहां सेवाएं दी। जबकि इस शैक्षणिक सत्र में अभी केवल एक प्रवक्ता राजनीतिक शास्त्र ही बच्चों को सभी विषय पढ़ा रहे हैं।
बच्चे ट्यूशन, यूट्यूब व अन्य साधनों से शिक्षा के लिए बाध्य हैं। विद्यार्थियों ने कहा कि पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर समय पर नहीं मिल पाते।
जो अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम हैं वे अपने बच्चों को अन्य विद्यालयों में दाखिल करवा रहे हैं जबकि शेष अभिभावक सरकार की ओर ताके जा रहे हैं कि कभी तो सरकार इस स्कूल में अध्यापकों की तैनाती करेगी।
स्कूल के कार्यकारी प्रधानाचार्य एवं प्रवक्ता राजनीतिक शास्त्र जितेंद्र कुमार ने कहा कि आज सुबह प्रार्थना सभा से पूर्व बच्चों ने अध्यापकों की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था जिन्हें हमने मौके पर पहुंचकर शांत करवाया है।
उन्होंने कहा कि इस विद्यालय में इस समय जमा एक व दो कक्षाओं के आठ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। परंतु इन्हें पढ़ाने के लिए केवल राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता ही उपलब्ध हैं। जबकि अंग्रेजी, हिन्दी, इतिहास जैसे विषयों के प्रवक्ताओं के पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोई प्रवक्ता प्रतिनियुक्ति पर भी नहीं भेजा गया है। शैक्षणिक सत्र का एक चौथाई समय निकल गया है। विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम पूरा होना तो दूर उनकी सामान्य प्रश्नों के हल तक नहीं मिल पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विद्यालय में प्रवक्ताओं के अलावा प्रधानाचार्य, उच्च विद्यालय में ड्राइंग टीचर व शारीरिक शिक्षक के पद भी रिक्त हैं।
उधर इस अवसर पर अभिभावक भी बच्चों का साथ देने के लिए विद्यालय परिसर पहुंच गए और उन्होंने सरकार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि अगर विद्यालय में शिक्षकों के पद न भरे गए तो वे सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए विवश होंगे।
इस विषय पर क्षेत्र के विधायक डॉ जनक राज ने कहा आज भरमौर क्षेत्र के एक स्कूल के मासूम बच्चों द्वारा हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ किए गए प्रदर्शन पर गहरा दुख और चिंता व्यक्त करता हूं।
ये बच्चे, जो भविष्य के भारत का निर्माण करने वाले हैं, आज शिक्षकों की कमी के कारण सड़कों पर उतर आए हैं।
यह दृश्य हिमाचल की कांग्रेस सरकार की शिक्षा के प्रति उदासीनता और लापरवाही का जीवंत प्रमाण है।
भरमौर जैसे दूरदराज और आदिवासी बहुल क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति पहले से ही चुनौतीपूर्ण है। मैंने विधायक के रूप में बार-बार विधानसभा में यह मुद्दा उठाया है और भरमौर में स्कूलों के लिए बेहतर सुविधाओं, शिक्षकों की भर्ती और बुनियादी ढांचे की मांग की है। लेकिन कांग्रेस सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं – वे राजनीतिक लाभ के लिए व्यस्त हैं, जबकि हमारे बच्चे बिना शिक्षकों के पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। कोविड महामारी के बाद शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के बजाय, सरकार ने स्कूलों को अनदेखा किया है, जिसका खामियाजा हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भुगत रहे हैं।
आए दिन किसी ना किसी स्कूल से शिक्षक न होने की खबरें आती रहती है।
यह प्रदर्शन एक चेतावनी है। अगर सरकार तुरंत कार्रवाई नहीं करती – शिक्षकों की भर्ती, स्कूलों में स्टाफ की पूर्ति और शिक्षा बजट का सही उपयोग – तो यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा। मैं भाजपा की ओर से मांग करता हूं कि मुख्यमंत्री तुरंत इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करें और भरमौर सहित पूरे हिमाचल में शिक्षा की स्थिति सुधारें। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करे, ताकि वे राष्ट्र के अच्छे नागरिक बन सकें।
उन्होंने कहा कि मैं इन बच्चों के साथ हूं और उनके संघर्ष में उनका साथ दूंगा।
उधर इस मामले में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने कहा कि मामला उनके ध्यान में आया है। सरकार द्वारा स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में अध्यापकों की तैनाती की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि रावमापा लामू के मामले वे अध्यापकों की प्रतिनियुक्ति का प्रयास करेंगे ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।