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घोघड़, चम्बा 01 नवम्बर : तम्बाकू उत्पाद के अवैध व्यापार करने के आरोप में पुलिस थाना भरमौर के दल ने 05 दुकानदारों के चालान काटे हैं। हिप्र में बिन पंजीकरण बीड़ी, सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पाद की बिक्री रोकने के लिए निकले भरमौर पुलिस थाना के दल ने गैहरा नामक स्थान पर 05 दुकानदारों के चालान काटे हैं। पुलिस थाना भरमौर के अंतर्गत धरवाला से कुगती व होली तक के बाजारों में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा विभाग की टीम तम्बाकू उत्पाद विक्रताओं की दुकानों पर दबिश दे रही हैं।

पुलिस थाना प्रभारी भरमौर बाबू राम ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार के कड़े आदेशों के बाद तम्बाकू उत्पाद बिक्री के लिए लाइसेंस होना आवश्यक बनाया गया है। जबकि शिक्षण संस्थान के आसपास की दुकानों को तम्बाकू उत्पाद बेचने का लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। बच्चों व युवाओं को नशे से बचाने के लिए यह अभियान चलाया गया है । उन्होंने कहा कि पहले चरण में अभी उन्होंने इस व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों को जल्द लाइसेंस बनाने के लिए चेताया है। अगर उन्होंने इसे गम्भीरता से नहीं लिया तो पुलिस निर्धारित कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होगी।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी “हिमाचल प्रदेश ढीली सिगरेट एवं बीड़ी की बिक्री निषेध तथा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के खुदरा व्यापार का विनियमन नियम, 2018” के अंतर्गत अब राज्य में सिगरेट, बीड़ी एवं अन्य तंबाकू उत्पादों के खुदरा व्यापार करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पंजीकरण करवाना आवश्यक है।

  1. पंजीकरण अनिवार्य : जो भी व्यक्ति सिगरेट, बीड़ी अथवा अन्य तंबाकू उत्पादों का खुदरा व्यापार कर रहा है या करने का इच्छुक है, उसे ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत सचिव व शहरी क्षेत्र में सचिव/कार्यकारी अधिकारी/आयुक्त शहरी स्थानीय निकाय से निर्धारित प्रपत्र फॉर्म-1 (परिशिष्ट ‘A’) में आवेदन कर ₹500 (पाँच सौ रुपये) का शुल्क जमा कर पंजीकरण प्राधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा।

  2. पंजीकरण प्रमाणपत्र की अवधि: पंजीकरण प्रमाणपत्र तीन वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा।

  3. नवीनीकरण की प्रक्रिया:

    • पंजीकरण समाप्त होने से पहले प्रमाणपत्र को तीन वर्ष के लिए नवीनीकृत करवाया जा सकता है।

    • नवीनीकरण शुल्क ₹300 (तीन सौ रुपये) निर्धारित है।

    • निर्धारित अवधि में नवीनीकरण न करवाने पर ₹200 प्रति माह का विलंब शुल्क देय होगा।

  4. प्रमाणपत्र खो जाने की स्थिति में:
    यदि मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र खो जाए, तो ₹100 (एक सौ रुपये) शुल्क पर डुप्लिकेट प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

  5. जाँच एवं जब्ती की कार्यवाही:
    इस अधिनियम के अंतर्गत प्रवर्तन के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधान लागू होंगे। संबंधित क्षेत्र के उपमंडल दंडाधिकारी या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया जाएगा।


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